देश का आम हो या खास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता मे होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन मे सबकी निगाहें टिकी थीं। वहीं विपक्षी दल इसकी असफलता और कमियां गिनाने मे कोई कसर भी नही छोड़ रहे थे। इसलिए दिल्ली की चर्चा लोग दिल से करने लगे तो जानना बहुत महत्वपूर्ण हो गया था कि इससे देश का क्या शुभ – लाभ होने जा रहा है जिसके दूरगामी परिणाम से जनता का सीधा रिश्ता है।
देश के मामलों की जानकार और हर मुद्दे पर सक्रियता रखने वाली सोशल एक्टिविस्ट दिव्या त्रिपाठी से इस संबंध मे प्रमुख बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि देश मे पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम आयोजित होते रहते थे लेकिन जनता का उन कार्यक्रम से कोई मानसिक लगाव नही रहता था।
मोदी सरकार ने यह कर दिखाया है कि जी20 देश के जन जन का कार्यक्रम है। कितने पहले से तैयारी हो रही थी। भारतीय जनता पार्टी ने ग्रामीण क्षेत्र मे बूथ पर और मंडल स्तर मे जी20 के कार्यक्रम आयोजित किए।
जनता को बताया गया कि अपना देश विश्व भर के नेताओं का नेतृत्व करने जा रहा है जिसकी अध्यक्षता हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे यह देश के लिए गर्व की बात है। इसलिए दिल्ली मे हो रहे कार्यक्रम पर गांव का आम आदमी दिल दिमाग लगाकर समझ रहा था।
शिखर सम्मेलन को दो भाग मे आयोजित किया गया। पहला भाग ” वन अर्थ वन फेमिली ” और दूसरा भाग ” वन फ्यूचर “। इसको समझना बहुत जरूरी है कि भारत के लोगों के लिए कि हम एक पृथ्वी और एक परिवार हैं , हमें इस उद्देश्य के साथ चलना है जिसको विश्व भर मे फैलाना चाहिए। इसका प्रचार प्रसार सामाजिक स्तर पर होना चाहिए।
वन फ्यूचर अर्थात हम सबका भविष्य एक है और एक होना चाहिए इसका संदेश देने के लिए भारत की पुण्य भूमि से उत्तम कोई और नही हो सकती थी। और नायक बने हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।
वन अर्थ वन फेमिली ; वसुधैव कुटुंबकम का मंत्र भारत देश ने ही दिया है और इक्कीसवीं सदी मे एक फिर यह दोहरा गया जिसका संदेश भारत से ही फैल रहा है। वन अर्थ का मतलब एक पृथ्वी और वन फेमिली का मतलब एक परिवार अर्थात हम सब एक पृथ्वी के निवासी और एक परिवार हैं तथा अर्थ-व्यवस्था एक हो जाए तो सभी मतभेद मिट जाएगें।
प्रतिस्पर्धा समाप्त होगी और विश्व भर के लोगों की अंधी दौड़ समाप्त होगी। अभी मुद्रा की स्पर्धा मे हर रोज बाजार से खबरे आती हैं कि डालर इतने मे यूरो उतने मे और ₹ इतने में तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे एक अर्थ-व्यवस्था होने इकोनॉमिक वार का अंत होगा।
जो लोग सवाल कर रहे हैं कि हासिल क्या हुआ ? जो लोग कह रहे हैं इससे पहले 17 बार ऐसी समिट आयोजित हो चुकी है तो उससे क्या हुआ ?
जवाब है कि यूरोपियन संघ की एंट्री भी जी20 के ग्रुप मे अठारहवें जी20 समिट हुई तो इतने वर्षों की मुलाकात और परिचर्चा का यह महत्वपूर्ण निर्णय निकलकर आया है जो भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अनेक मायने हैं जिनका विश्लेषण समय पर हो सकेगा।
इस शिखर सम्मेलन मे इंडिया मिडिल इस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरीडोर बनाए जाने को सभी प्रमुख देशों ने आम सहमति दी है। यह कॉरीडोर भारत के लिए चीन के सामने सबसे महत्वपूर्ण है , इस निर्णय से अर्थ-व्यवस्था से लेकर हर क्षेत्र मे चीन की अपेक्षा भारत मजबूत होगा।
विदेशी मीडिया ने इसे भारत की कूटनीतिक बड़ी जीत बताई है। जब एक सुर मे नई दिल्ली घोषणा पत्र जारी हुआ तो इसे वैश्विक महाशक्तियों के बीच भारत का बढ़ता दबदबा कहा गया।
टेलीग्राफ ने अपनी हेडिंग मे लिखा ” क्यों भारत नई विश्व व्यवस्था का केन्द्र बनने की ओर अग्रसर है।”
युद्ध के खिलाफ भी एक महायुद्ध करने की बात भी यहीं से हुई। शांति और समझौते की पहल करने वाला भारत फिर एक बार रूस और यूक्रेन युद्ध को रूकवाने के लिए प्रयासरत है और इस हेतु सबकी निगाहें पीएम मोदी पर टिकी हुई हैं।
इसलिए यूक्रेन की पीड़ा को महसूस किया गया और कहा गया कि यह समय युद्ध का नही है। शांति ही एक विकल्प है और दो राष्ट्रों के बीच शांति से ही लाभ है।
ऐसे ही वैश्विक जैव ईधन व पर्यावरण संरक्षण जलवायु परिवर्तन जैसे आम मुद्दों पर चर्चा हुई। इससे भी भारतीय प्रधानमंत्री की छवि उभरकर आई कि जन साधारण की समस्या से अवगत कराया गया जिस पर पहल करने से सबका भला है। हरी भरी पृथ्वी मे सुखमय जीवन का रहस्य है।
जी20 मे प्रधानमंत्री मोदी के कुशल लोक व्यवहार और रिश्ते बनाने की कला की वजह से ही एक सबसे बड़ी सफलता नजर आई है। इस मंच पर ही इटली की पीएम मोर्लोनिया ने घोषणा की चीन की बीआरआई कॉरीडोर से हमने हटने का निर्णय लिया है , हालांकि मैं चीन जरूर जाऊंगी किन्तु वह दो राष्ट्र के आपसी रिश्ते की प्रतिबद्धता है जिस पर आंच नही आने देंगे।
India middle east Europe economic corridor बनाए जाने की घोषणा और चीन के बीआरआई से इटली का हट जाने का साफ संकेत है कि भारत देश को बड़ा कूटनीतिक लाभ हुआ है और हमारी स्थिति वैश्विक स्तर पर सशक्त हुई है।
अगला जी20 शिखर सम्मेलन ब्राजील मे होना तय हुआ है। जिसके लिए पीएम मोदी ने जिम्मेदारी का हथौड़ा ब्राजील के राष्ट्रपति को सौंप दिया है।