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By – Saurabh Dwivedi

हमारा प्रयास ( संस्था ) द्वारा वस्त्र वितरण कर कामदनाथ परिक्रमा मार्ग पर गरीबों के दुख – दर्द को बांटने का मानवतापूर्ण काम युवाओं द्वारा किया गया।

जिंदगी में सुख इस प्रकार भी पाया जाता है , अपनों को सुख देकर। हाँ हर मनुष्य अपना है। मदद का भाव रखेंगे तो ब्रह्मांड से वापस मदद ही मिलेगी। अगर कभी कुछ सोचा तो यही कि मैं कुछ कर सकूं समाज के लिए , उनके लिए जिन्हें मदद की जरूरत है। जिनका वक्त साथ नहीं दे रहा होता। वो चाहकर भी सारी सुख सुविधा का भोग नहीं कर सकते।

चेतना जागृत करना भी बड़ा कार्य है। इंसान हर रात सोता है , सुबह जागता है और सोचता है कि वो जाग रहा है ? इसे जागना नहीं कहते। यह तो वैसे हुआ आराम कर रहे थे , फिर मन से इशारा मिला और उठ गए। जागना वह होता है कि सुप्त चेतना जागृत हो जाए।

सच पूंछिए तो कष्ट किसी को नहीं रहेगा और हो नहीं सकता। यदि इंसान ही इंसान का भगवान हो जाए। वो जरूरतमंद के काम आने लगे। वो प्रेम का प्रसार करने लगे। प्रेम – अपनत्व को महसूस कर सकें।

हमें जितना नफरत और कुंठा मारती है ना उतना आखिरी मृत्यु भी नहीं मारती। बल्कि मृत्यु के पार ही जीवन है। एक नई देह मिल जाती है और आत्मा वही रहती है। यहाँ इस पृथ्वी तल पर सत्कर्म कर अपनी आत्मा को उत्कृष्ट करने के लिए हम आते हैं ताकि स्वर्ग जैसी परिकल्पना में प्रायश्चित कर अपनी आत्मा को स्थान दे सकें। अर्थात इस संसार से मुक्ति मिल सके। जीवन का मर्म ही है मुक्ति।

तो हाँ कहना यह था कि कल लंबे समय बाद हमारा प्रयास ( संस्था ) की छायातले वस्त्र बांटने जा सके। कामतानाथ का परिक्रमा मार्ग जहाँ गरीब , दुखियारी , दिव्यांग आशान्वित रहते हैं कि यह भगवान का दर है और यहाँ उनका कल्याण अवश्य होगा। तन को कपड़ा और उदर को भोजन मानव जीवन की पूर्णता है।

इस कार्य में संस्था की स्थापना से लेकर अब तक जिन्होंने भी मदद की सभी का अभी नाम नहीं लिख सकता पर सभी का हृदय से आभारी हूँ कि शारीरिक , मानसिक और आर्थिक मदद से तुच्छ सा मैं जिंदगी में कुछ कर पाया।

एक नाम जो लेना बहुत जरूरी है। चूंकि वो सिर्फ एक व्यक्ति नहीं व्यक्ति के रूप में एक पूरी संस्था है। जिन्होंने जिंदगी में संघर्ष कर के धन का सदुपयोग समाजसेवा के लिए किया। वह भी बिना शोर मचाए। अनेको लोगों को जीवन प्रदान किया। बीमार व्यक्तियों की असहाय स्थिति में धन से मदद कर वापस ना लेने की इच्छा के साथ निःस्वार्थ भाव से करते रहे और लोगों के घर तक एंबुलेंस कर शव भिजवाने तक का कार्य किया है। इसलिये समाजसेवा की दृष्टि में मुझे और संस्था के लिए एक आदर्श समाजसेवी प्रेरक व्यक्तित्व Ashok Dubey भैया लगे। इसलिये आप संस्था के संरक्षक और प्रेरक व्यक्तित्व हैं और हमें अच्छा लगता है कि आपसे प्रेरणा मिलती है।

संस्था के माध्यम से सामर्थ्य के साथ पर्यावरण लीडरशिप विकसित करने और जनहित के मुद्दों पर जनता को जागरूक करने तथा वस्त्र बैंक जैसी सोच के साथ समय-समय पर जन कल्याणार्थ कार्य करते रहेंगे। इस दौरान संस्था के अध्यक्ष राजीव श्रीवास्तव , निदेशक सौरभ द्विवेदी , अनूप त्रिपाठी , विवेक तिवारी , अनुराग पाण्डेय एवं अश्विनी ओझा आदि मौजूद रहे।

सभी पथिक साथियों को नमन।

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