By – Saurabh Dwivedi
समाज में अक्सर बुरी घटनाएं घटित हो रही हैं , जिसके जिम्मेदार शासन एवं प्रशासन को ठहराया जाता है। विचारकों का एक वर्ग शब्दों को गुह – गुह कर “गुहा माला” बनाकर कहता है कि सरकार द्वारा भय का माहौल बनाकर और अच्छे दिन की आश जगाकर सत्ता प्राप्त करने के लिए ऐसा किया जाता है।
ऐसे ही विचार एक वर्ग द्वारा इस प्रकार भी उत्पन्न किए जाते हैं कि विपक्ष द्वारा भी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कुछ घटनाओं को अंजाम दिलाकर राजनीतिक रूप प्रदान किया जाता है।
हालाँकि उदाहरण स्वरूप किसी घटना को सबूत सहित आधार बनाकर कोई भी प्रस्तुत करने में असमर्थ है। यह विचार पक्ष और विपक्ष के समर्थन व विरोध की मानसिकता वाले गर्भ गृह से जन्म लेते हैं और कुछ लोग विचारों की अम्मा बने रहते हैं कि मानो बस अभी सत्ता परिवर्तन से सबकुछ ठीक-ठाक हो जाएगा। असल में यह खेल कुछ और नहीं सिर्फ और सिर्फ सत्ता हस्तांतरण का खेल है , जिसमें इनके अप्रत्यक्ष लाभ छिपे होते हैं।
कल रात्रि के वक्त ऐसी घटना घटित हुई कि उसका सबूत भी है। चित्रकूट जिले के धतुरहे चौराहे में ग्वालियर से आए दर्शनार्थी से छेड़खानी का मामला। सनद रहे कि कोतवाली 5 से 10 मीटर की दूरी पर है।
किन्तु कुछ लड़कों का समूह एक औरत को छेड़ने में मशगूल था। हमारा प्रयास एनजीओ के अध्यक्ष राजीव श्रीवास्तव वहाँ से गुजर ही रहे थे कि माहौल देखकर ठहरे और पूंछताछ की तो महिला कि जुबानी सुनिए ..
“भइया हम ग्वालियर से कामतानाथ के दर्शन हेतु आए थे। एटीएम से पैसे निकालने थे और स्टेशन के समीप वाले एसबीआई एटीएम पर कैश नहीं था , जिससे हम चलते-चलते इधर आए। मेरे पति ने इन लड़कों से पूंछा कि एटीएम पर पैसे नहीं है ? तो इन लड़कों ने अवसर का लाभ उठाते हुए बाहरी जानकर मुझे छेड़ना शुरू कर दिया। ”
राजीव जी ने पति – पत्नी दोनों को ई रिक्शा कराया और स्टेशन की तरफ रवाना किया। चूंकि कर्वी के किसी एटीएम पर हमेशा कैश मिल सके तो समझिए अलादीन के चिराग की तरह किस्मत खुल गई। बेशक एसबीआई वाले हों या कोई भी बैंक सर्विस चार्ज खूब वसूल रहे हैं और सर्विस ना मिलने पर कोई दंड का प्रावधान नहीं है।
अंततः राजीव जी ने उन्हें कुछ सौ रूपये प्रदान किए और जिले के ही समाजसेवी #धर्म चंद जी ने भोजन लेकर दिया। कुछ देर बाद पता चला कि वे लड़के स्टेशन की तरफ भी आए थे। वैसे ही फोन पर सूचना मिलते ही राजीव जी पुनः पहुंचे , इस बार लड़के कह रहे थे कि हम माफी मांगने आए थे। लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से राजीव जी ने Ankit Kesherwani ‘Raj’ को सूचना दी तो आठ – दस लड़के स्टेशन आ चुके थे।
उन्हें समझाया गया कि ऐसी हरकत कर के चित्रकूट को बदनाम मत करो। वो परिवार भगवान के दर्शन के लिए आया और तुम लोग उनके साथ ऐसी अभद्रता कर रहे थे। अंततः पति-पत्नी दोनों ट्रेन से ग्वालियर रवाना हुए।
इस घटना से नागरिक कर्तव्य का संदेश प्राप्त होता है कि हमें बुरी घटनाओं को रोकने के लिए नागरिक कर्तव्य निभाना होगा। एक ऐसा समूह तो हर शहर में सक्रिय हो सकता है कि वह कानून को हाथ में ना लेकर बुरी घटना पर अंकुश लगाए। जिस प्रकार चित्रकूट में एक बुरी घटना घटित होने से बची।
किन्तु हम नागरिक कर्तव्य निभाने को तैयार नहीं होते पर बड़े दल और बड़े नेता की चाटुकारिता में शब्दों को गुह – गुह कर विचारों का गुहा बनकर के सत्ता हस्तांतरण के लिए घटिया विचार देते हैं। परंतु ऐसे ही वैचारिक गुहा व्यक्तित्व के लोग जीवन भर में ऐसी एक घटना पर अंकुश लगाने का काम नहीं कर पाते।
अब उपरोक्त घटना में सरकार की मंशा कहाँ नजर आ रही है ? हाँ प्रशासन की उदासीनता नजर आती है कि कोतवाली के समीप से लाखों रूपए का बैग भी उड़ा लिया जाता है और लड़कियों से छेड़खानी को अंजाम दिया जाता है। पुलिस वाला भी राष्ट्र का नागरिक है और उसे भी राष्ट्र की अच्छी छवि के लिए नागरिक कर्तव्य निभाना चाहिए कि शहर के अंदर के चंद बुरे लोगों पर अंकुश लगा सकें।
मैं नहीं कह सकता और वजह यही है कि राजीव जी व मैं मित्र हैं। परंतु नागरिक कर्तव्य निभाने वाले व्यक्तियों को समाज व सरकार द्वारा फौरन सम्मानित किया जाना चाहिए , जिससे बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए सिर्फ दशहरे के दिन रावण ना जलाया जाए बल्कि हर रोज ऐसी बुरी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
उन विचारकों के लिए भी आईना है , जो सिर्फ और सिर्फ सत्ता हस्तांतरण के खेल में थिंकिंग नैरेटिव क्रिएट कर स्व लाभ अर्जित करते हैं। बल्कि जमीनी हकीकत कुछ इस तरह से होती है। राजीव , अंकित और धर्मचंद जैसे युवाओं की जरूरत हर शहर – गांव को है।