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By – Saurabh Dwivedi

अगर मूर्ति खंडित हो जाए तो जानिए उपाए। बांके बिहारी मंदिर चित्रकूट के संत पुजारी देवव्रत जी बता रहे मूल तथ्य।

एक महिला ” बांके बिहारी जी ” के मंदिर में जिज्ञासा के साथ प्रवेश करती है। वो मंदिर के संत व पुजारी भारतेन्द्र दुबे से सवाल करती है कि मेरे घर में लड्डू गोपाल हैं और उनका एक पैर टूट गया अर्थात मूर्ति खंडित हो चुकी है।

उस महिला की व्यथा थी कि गोपाल जी को विसर्जित कर दूं या कहीं वृक्ष आदि के पास भी रख दूं ? सामाजिक सोच है कि खंडित मूर्ति की पूजा नहीं करनी चाहिए। खंडित मूर्ति अशुभ व अमंगलकारी हो जाती है।

उनके इस सवाल व जिज्ञासा पर बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ने बेहद मीठे शब्दों से तृप्ति प्रदान की। सर्वप्रथम उन्होंने महिला से सवाल किया कि आप कितने वर्ष से लड्डू गोपाल की पूजा कर रही हैं ?

महिला ने जवाब दिया कि लगभग दस वर्ष से पूजा कर रही हूँ।

संत जी ने पुनः पूंछा कि अगर आपके दस वर्ष के बेटे का पैर टूट जाता तो क्या आप उसको विसर्जित कर देतीं ? आपका बेटा आपके लिए अशुभ हो जाता ? महिला का जवाब था कि नहीं ! ऐसा कदापि नहीं किया जा सकता , बल्कि उसे स्वस्थ कर भविष्य के लिए तैयार करना माँ का कर्तव्य है।

फिर गोपाल जी की मूर्ति खंडित अशुभ कैसे हो सकती है ? अमंगलकारी कैसे हो सकती है ? इन सवालों के साथ महिला को जवाब मिल चुका कि वास्तव में लाड प्यार से पाले और पूजे गए लड्डू गोपाल की खंडित मूर्ति कभी अशुभ फल नहीं प्रदान कर सकती।

वो महिला इसी तृप्ति के साथ लड्डू गोपाल की पूजा करने हेतु मन ही मन तैयार हो गई। स्पष्ट है कि जितना हम अपनी संतान को प्रेम करते हैं , वैसा ही निःस्वार्थ प्रेम ईश्वर से हो। ईश्वर भी समर्पण के भाव को महसूस करते हैं। मंत्रोच्चार सिर्फ जुबानी ना होकर मन और आत्मा के संयोग से भावनात्मक हो तो ईश्वर का अंतःकरण भी जागृत हो जाता है। मनुष्य को संकट से निजात पाने की क्षमता में वृद्धि ही आध्यात्म का सर्वोत्तम फल है।

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