@Anuj pandit
चित्रकूट जनपद के चर गाँव में स्थित सोमनाथ मंदिर की नक्काशी और शिवलिंग को देखकर यह अंदाजा सहज ही लग जाता है कि यह मंदिर पुराकाल का है।
यद्यपि यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में परिगणित गुजरात वाला सोमनाथ मंदिर नहीं है और न ही यह कह सकते कि सुवर्ण की दृष्टि से यह काफ़ी धनी मंदिर था किंतु खण्डहर में तब्दील हो चुके इस मंदिर का एक-एक भग्नावशेष और खण्डित मूर्तियाँ चीख-चीख कर कहती हैं कि एक क्रूर,आततायी और सनातन धर्म के धुर विरोधी शासक ने हमारे अंग-प्रत्यंग काटे हैं।
खजुराहो सहित देश के विभिन्न खूबसूरत मन्दिरों,जो प्राचीन शिल्पकला के अद्भुत् उदाहरण हैं, को विदेशी आक्रांताओं ने मात्र और मात्र धार्मिक कट्टरता के वशीभूत होकर तहस-नहस कर डाला। इन आततातियों में मंदिर विध्वंशकारी के नाम पर जिसने खूब नाम बदनाम करवाया,वह था औरंगजेब!
निःसन्देह इस मंदिर को ढहाने में उसी का हाथ रहा होगा क्योंकि किसी मूर्ति का हाथ कटा है, किसी का पैर, किसी का शिर धड़ से अलग कर दिया गया है तो किसी का कटिप्रदेश ही उड़ा दिया गया है।
जिस तरह से मूर्तियों सहित मंदिर की शोभा को रौंदा गया है, उसे देखकर यह लगता है कि कितनी नफरत रही होगी उन पिशाचों को भगवान् और उनके धाम से!
उन्हें शायद यही लगता था कि मंदिर नष्ट कर देने से वे भारत की ईश्वर के प्रति आस्था और सनातन धर्म को खत्म कर देंगे! किन्तु उन्हें यह नहीं पता था कि ईश्वर का निवास भारतीय सनातनियों की आत्मा में है, रक्त में है,यहाँ की संस्कृति और परम्परा में है जो जन्म-जन्मांतर तक समाप्त नहीं होने वाली!
मंदिर की प्राचीरों में गढ़ी गयी मूर्तियों को देखकर हृदय द्रवित हो उठता है, मांसपेशियों में रक्तसंचार तीव्र हो उठता है तथा मन कहता है कि काश औरंगजेब मिल जाता तो उसे उसके दुष्कर्मों का परिणाम दे सकते!
कालांतर में मंदिर के भग्नावशेषों को समेटकर रखा गया है जिन्हें देखकर कोई भी समझ सकता है कि अपने समय का कितना विशाल मंदिर रहा होगा!
सोचता हूँ क्या आज भी ऐसी नक्काशी करने वाले कारीगर पाये जाते हैं जो विशाल शिलाखण्ड पर ही सुंदर और अद्भुत् मूर्तियाँ गढ़ देते हैं!
अनुजपण्डित
स्वतंत्र लेखक व वरिष्ठ शोध अध्येता
चित्रकूट,उत्तरप्रदेश
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