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@Saurabh Dwivedi

रामनगर / चित्रकूट : ये तकनीक का असर है कि ताकतवर अधिकारी जनता की अदालत से लेकर सरकार की अदालत तक प्रस्तुत होने को मजबूर हो जाते हैं। अभी जो आडियो वायरल हुआ है उससे अफसरशाही का मास्क उतरकर बदनाम चेहरा उजागर हुआ है। वायरल आडियो सुनने वाला हर शख्स कह सकेगा कि घूसखोरी मे भी कितनी दादागिरी और बेपरवाही है। किन्तु गांव का विकास अगर अवरूद्ध है तो जिम्मेदार असंतोषी आशुतोष  नामक जैसे अधिकारी ही होते हैं , नाम है आशुतोष पर जुबान बताती है कि संतोष रत्ती भर नहीं है।

मन – मस्तिष्क से जन – जन को महसूस करना चाहिए कि वायरल आडियो में सहायक विकास अधिकारी ग्राम प्रधान भभेंट के बेटे से जो कुछ कहते सुनाई दे रहे हैं , वही उनके गांव मे गंदगी का पर्याय है। गांव अगर स्वच्छ नहीं है तो जिम्मेदार घूसखोर अधिकारी हैं। असल मसला तो अब समझ आएगा जब उच्चाधिकारी गहन जांच कर घूसखोरी के नेटवर्क को उजागर करें परंतु प्रथम दृष्टया ऐसा नहीं कहा जा सकता कि घूसखोरी के आधिकारिक नेटवर्क का पर्दाफाश होगा। अभी बड़ी बात यह होगी रामनगर ब्लाक के जिन अधिकारी आशुतोष कुमार का वायरल आडियो बताया जा रहा है , उन पर ही कठोर से कठोर कार्रवाई हो जाए।

वैसे ऐसे अधिकारी की जुबान सुनकर हमेशा हमेशा के लिए बर्खास्त कर देना चाहिए , यदि सिस्टम में कम से कम ईमानदारी स्थापित करने की मंशा हो तो वायरल आडियो साफ मांग करता है कि संविधान और जनहित की मान – मर्यादा और रक्षा के लिए ऐसे अधिकारी को हमेशा – हमेशा के लिए सेवानिवृत्ति दे दी जानी चाहिए।

सहायक विकास अधिकारी रामनगर कथित वायरल आडियो में वह कहते हुए पाए जा रहे हैं कि अरे इतने मे नहीं होगा जी , इसमे अभी बहुत अधिकारी हैं ” तो वो अधिकारी कौन हैं ? “ बड़ा सवाल है कि जिलाधिकारी चित्रकूट इस परिप्रेक्ष्य मे भी जांच कराएं और आवश्यकता पड़ने पर आशुतोष कुमार का नारकोटिक्स टेक्स्ट कराया जाए , जिस घूसखोर अधिकारियों के पूरे नेटवर्क को उजागर किया जा सके !

जनपद के जनप्रतिनिधियों को सक्रिय भूमिका निभाकर जांच को सही तरीके से कराना चाहिए। चूंकि यह गांव के विकास का मामला है। वह कह रहे हैं कि पहले अपना विकास फिर गांव का विकास तो यह विकास की अवधारणा के खिलाफ का मामला बनता है , संविधान की मूलभावना के खिलाफ है इनकी सोच और जहाँ सोच की कमी है वहाँ शौचालय घोटाला भी चर्चा का विषय रहा है।

वायरल आडियो महज घूसखोरी का ही प्रमाण नहीं है अपितु एक अधिकारी की दबंगई का भी प्रमाण है। इनकी भाषा अगर सुनी जाए तो साफ महसूस होता है कि आशुतोष कुमार दबंगई से सरकार की नौकरी करते हैं और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का दुरूपयोग करते हैं। एक आडियो इनके अंदर के खतरनाक व्यक्तित्व को उजागर करता है।

यदि अभी इस वक्त सही जांच होगी और कम से कम एक अधिकारी पर संविधान और कानून का कड़ा पहरा दर्ज हो जाएगा तो संभवतः भविष्य में बहुत से अधिकारी सरेआम घूसखोरी करने से पहले हजार बार चिंतन करेंगे।

लेकिन शासन के जनप्रतिनिधि को ध्यान रखना चाहिए कि अफसरशाही एक बार फिर अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर एक भ्रष्ट अधिकारी को बचाने मे कामयाब ना हो सके , चूंकि पूर्व मे ऐसे उदाहरण मिले हैं कि वीडियो वायरल होने के बाद भी उस वीडियो को झूठा करार दे दिया गया , आपसी सांठगांठ से एक दोषी अफसर अड़तालीस घंटे के अंदर ईमानदारी का तमगा हासिल कर चुका था।

इसलिए आज समाज के जिम्मेदार लोगों को भी सक्रिय होना चाहिए ताकि अफसरशाही पर ऐसा दबाव बने कि वह एक दोषी अफसर को किसी भी तरह बचाने मे कामयाब ना हों। इस वक्त के युवा घूसखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ सक्रिय हैं। घूसखोरी के वायरल आडियो पर संपूर्ण दृष्टि रखते हुए आशुतोष कुमार की संपत्ति की जांच भी सरकार को करा लेनी चाहिए। परत दर परत अब तक की नौकरी की सच्चाई उजागर होगी और भ्रष्टाचार के खिलाफ व जनहित मे होगा।

जैसे ही वायरल आडियो की चर्चा हुई ठीक वैसे ही जिलाधिकारी चित्रकूट ने जांच के आदेश दिए हैं। तीन दिनों में जांच कर आख्या प्रस्तुत करने का निर्देश है। किन्तु जांच अधिकारियों के नेटवर्क से लेकर आशुतोष कुमार की संपत्ति तक की होनी चाहिए। चूंकि वायरल आडियो करप्शन नेटवर्क की ओर इंगित करता है और ऐसे अफसरशाही नेटवर्क का भंडाफोड होना चाहिए ताकि फिर कोई ये ना कह सके कि पहले अपना विकास फिर गांव का विकास अन्यथा ऐसे अफसरों की वजह से ही गांव आज भी विकास से अछूत है और भ्रष्टाचार व घूसखोरी के भूत गांव मे अदृश्य रूप से मंडरा रहे होते हैं। सहायक विकास अधिकारी का पक्ष जानने की कोशिश मे ना व्हाट्सएप पर जवाब मिला और उनका नंबर स्विच ऑफ बता रहा था।

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