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बांके बिहारी मंदिर चित्रकूट :  तीन वर्ष पूर्व पुजारी जी वृंदावन गए। वहाँ उन्होंने बृज के उत्सव मे प्रिया प्रीतम जी का विवाह होते देखा। अर्थात बांके बिहारी संग राधा रानी का विवाह उत्सव जिसे बृज मे ब्यावला कहा जाता है।

ऐसा भव्य दिव्य उत्सव देखते ही पुजारी जी भारतेन्द दुबे जी के मन मे आया कि काश ऐसा ब्यावला हमारे मंदिर चित्रकूट धाम मे हो सके। और इन्हीं तीन वर्ष मे भगवान ने चमत्कार कर दिखाया कि लुधियाना के प्रसिद्ध भक्त माली पुनीत नारायण शर्मा ने पुजारी जी से संपर्क कर ब्यावला करने का निवेदन किए और फिर जो हुआ वह चमत्कार से कम नही कि पुजारी जी का विवाह एक बार फिर से बिहारी जी के विवाह होने के समय संपन्न हुआ।

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गौरतलब है कि कोरोना आने की वजह से पुजारी जी का विवाह शीघ्र अतिशीघ्र संपन्न कराया गया और विधि विधान दो गज की दूरी मे संपन्न हुए लेकिन बिहारी जी ने पुजारी जी का मनोरथ पूरा किया।


चित्रकूट मे बांके बिहारी के विराजमान होने की पौराणिक कथा है। यहीं सूरदास को बांके बिहारी प्रकट होकर दर्शन दिए थे। भक्त यहाँ के बांके बिहारी के महत्व को जानते हैं इसलिए मध्यप्रदेश हो या दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों से भक्त चित्रकूट के इस मंदिर मे दर्शन करने आते हैं व भक्ति से पूर्ण उत्सव महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित होता रहता है।

19 जनवरी 2023 से शुरू हुआ विवाह उत्सव 20 तारीख तक चला। लुधियाना से भक्तों का एक समूह आया जिन्होंने चित्रकूट मे बांके बिहारी को फिर प्रकट कर दिया। अब बिहारी जी का विवाह होगा तो वे स्वयं आएंगे और राधा रानी भी आएंगी। अपने विवाह मे भगवान जरूर आएंगे , यह मान्यता ही नही अपितु वास्तविकता है। 

आप ही बताओ आपका विवाह होगा तो क्या आपके बिना होगा ? नही। तो श्रीकृष्ण विवाह उत्सव मे जरूर आते हैं और उनके आगमन पर ही फेरे पड़ते हैं। बड़ा ही भव्य दर्शनीय अलौकिक माहौल हो जाता है।

स्वामी जी महाराज भारतेन्दु दुबे का कहना है कि भक्त हैं उनकी चाह रही कि विवाह समारोह हो तो हमने कर दी हाँ , जितना धार्मिक आध्यात्मिक माहौल मे यह कार्यक्रम हुआ उससे झलक रहा है कि बिहारी जी की महान कृपा से संपन्न हुआ।

विवाह उत्सव पर बिहारी जी अत्यंत प्रसन्न होते हैं। मनुष्य की भक्ति का यह बहुत अच्छा मार्ग है कि भला अपने विवाह पर कौन नही आएगा ? साक्षात दर्शन और बिहारी जी की कृपा प्राप्त हुई तभी यह विवाह उत्सव होता है।

जैसे पिछले दिनो मुरैना के भक्तों ने आकर 56 भोग का कार्यक्रम किया। वह भी अत्यंत दर्शनीय रहा। मथुरा-वृंदावन के साथ धर्म नगरी तीर्थ क्षेत्र चित्रकूट मे बांके बिहारी की यह कृपा जिसने प्राप्त कर ली समझो जीवन सफल और साकार हो गया।

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