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केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार का अमृत काल का बजट 2023 पेश कर दिया है। जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमृत काल का बजट कहा है। सर्वप्रथम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही अमृत काल शब्द का प्रयोग किया था। जिसे इस बजट सत्र मे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अनेक बार प्रयोग किया। मोदी सरकार का लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत का है जब देश की आजादी के 100 साल पूरे हो जाएंगे।
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अगले वर्ष लोकसभा चुनाव 2024 हैं। जिससे बजट से स्थानीय नेताओं को भी खासी उम्मीदें थीं। एक ऐसा बजट जो जन कल्याण करे और विनिंग फैक्टर साबित हो। जैसे लोकसभा का बजट 2022 मे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का विनिंग फैक्टर साबित हुआ था।
इस बजट को लेकर लोकसभा सदस्य बांदा आरके पटेल ने कहा कि यह गाँव , गरीब और किसान का बजट है। मध्यमवर्ग को टैक्स से बड़ी राहत मिली है जो अब अधिक बचत कर सकेंगे। मध्यमवर्ग के ख्याल रखने की चर्चा थी जिसे सरकार ने कर दिखाया। सबको राहत देने वाला बजट भारत के विकास को गरुण गति प्रदान करेगा और आजादी के 100 वें वर्ष मे भारत महाशक्तिशाली राष्ट्र होगा।
जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव और महिला मोर्चा भाजपा की जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी से भी फोन द्वारा बजट पर बात हुई जिसमे उन्होंने पीएम मोदी और वित्त मंत्री की खूब सराहना की।
जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव ने कहा कि केन्द्र सरकार ने गरीबों के हित का ख्याल रखा है हर घर को छत मिल सके इसलिए प्रधानमंत्री आवास की योजना को जारी रखा और पारदर्शिता के साथ हर योजना का सीधा लाभ लाभार्थी तक पहुंचे इसकी व्यवस्था डिजिटल माध्यम से की है।
महिला मोर्चा भाजपा की जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी कहती हैं कि यह माँ का बजट है। भारत मे नारी माँ लक्ष्मी के समान मानी जाती हैं इसलिए कहा भी गया है ” यत्र नारी पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता “। जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता रहते हैं। बजट पेश करने वाली मंत्री नारी हैं इसलिए यह माँ लक्ष्मी का बजट है जो हमारे देश के विकास की गति को भगवान विष्णु के वाहन गरुण पक्षी की गति के समान कर देगा। अब भारत का विकास नर – नारी दोनों की सहभागिता से तीव्र गति से होगा।
उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने महिलाओं के प्रगति के लिए भी बजट मे जगह दी है जो सभी महिलाओं के लिए सम्मान का विषय है। नारियों को बजट मे जगह मिलने से उनका अपना एक अलग नारी सशक्तिकरण का अस्तित्व स्वीकार किया गया है और नारियों की भागीदारी को सुनिश्चित कर भारत भूमि की सबसे बड़ी पहचान भारत माता के स्वाभिमान को चरितार्थ किया गया है।
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कुलमिलाकर के सत्ता पक्ष इस बजट को अच्छा बता रहा है तो हमेशा की तरह विपक्ष इसे महंगाई बढ़ाने वाला , कर्ज तले दबाने वाला और नौकरी ना देने वाला बजट कह रहा है।
इधर तमाम अर्थशास्त्री इस बजट की सराहना कर रहे हैं और आजादी के 100 वें वर्ष मे विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए इस बजट को नींव मान रहे हैं। वहीं विश्व मे एशिया बनाम यूरोप की अर्थव्यवस्था के मध्य जंग छिड़ी हुई है। मंदी के दौर मे भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था विश्व को उम्मीदें हैं।