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इस चुनावी माहौल मे पूर्व सभासद श्याम गुप्ता के निष्कासन की बड़ी वजह निशी सोनी का चुनाव ही माना जा रहा था। पूर्व सभासद श्याम गुप्ता पर गदा चुनाव चिन्ह का प्रचार करने का आरोप लगा था तो श्याम गुप्ता को बीजेपी से तडीपार घोषित कर दिया गया।

नगर निकाय चुनाव मे भाजपा ने विजय के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। यहां तक की प्रचार के मैदान मे सीएम योगी आदित्यनाथ को स्वयं आना पड़ा था। उनसे पहले उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक को पुरानी कोतवाली मैदान कर्वी मे छोटी जनसभा करनी पड़ी थी। साफ शब्दों मे निर्दलीय को वोट देकर वोट बर्बाद ना करें इसकी अपील करनी पड़ी थी।

नगरपालिका चुनाव मे निशी सोनी की बगावत अंत तक चर्चा का विषय थी। असल मे बगावत निशी सोनी की नही बल्कि उनके भाई जवाहर लाल सोनी की थी। जो पूर्व सभासद हैं। एक भाई जो रामदल मे सक्रिय रहते हैं राम नाम है उनका तो बगावत श्रीराम से व बीजेपी से भाइयों की थी। निशी सोनी तो भाइयों द्वारा बनाई गई प्रत्याशी थीं जो हाल-फिलहाल राजनीति व चुनाव के मैदान मे उतरी थीं।

इस चुनावी माहौल मे पूर्व सभासद श्याम गुप्ता के निष्कासन की बड़ी वजह निशी सोनी का चुनाव ही माना जा रहा था। पूर्व सभासद श्याम गुप्ता पर गदा चुनाव चिन्ह का प्रचार करने का आरोप लगा था तो श्याम गुप्ता को बीजेपी से तडीपार घोषित कर दिया गया।

भैया मेरे रक्षा के बंधन को निभाना जैसे संगीतमय रक्षाबंधन के माहौल मे निशी सोनी प्रदेश उपाध्यक्ष देवेश कोरी के पास राखी लेकर पहुंच गईं। साथ मे उनके भाई राम सोनी और जवाहरलाल सोनी भी नजर आ रहे हैं तो इस तरह निशी सोनी ने प्रदेश उपाध्यक्ष को राखी बांधकर भाई-बहन के स्नेह का संकेत दिया है।

किन्तु रक्षाबंधन की इन तस्वीर से लोग सवाल बहुत से कर रहे हैं कि बीजेपी पर टिकट बेचने का आरोप लगाने वाले भाई-बहन से प्रदेश उपाध्यक्ष ने राखी बंधवाई है तो जरूर कोई मजबूरी होगी और सोनी परिवार की ताकत को समझ गए होंगे इसलिए 2024 के मद्देनज़र शायद यह बीजेपी मे वापसी के संकेत हैं।

किन्तु सवाल श्याम गुप्ता की वापसी का भी है ? जिनके हाथ से रामलीला भवन भी जाता हुआ दिख रहा है या यूं मानें कि अंतर्राज्यीय रामलीला कराने की नगरपालिका कर्वी की तैयारी का संकेत ही यही है कि रामलीला भवन से श्याम गुप्ता के प्रबंधकीय अधिकार खत्म हो चुके हैं तो सबसे बड़ा नुकसान सियासी खेल मे श्याम गुप्ता ने झेला और सोनी परिवार तो एक बार फिर बीजेपी का परिवार बनता नजर आ रहा है।

हालांकि सोनी परिवार ने चुनावी माहौल मे बीजेपी पर बड़े तीखे हमले किए थे। टिकट बेचने का संकेत भी इस ओर ही था कि स्थानीय स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक सबने टिकट बेच दिया और जीतने वाले प्रत्याशी नरेन्द्र गुप्ता ने टिकट खरीदा था। जिससे वायरल चर्चा होती रही कि फलाने ढेकाने चित्रकूट को लूटकर करोड़पति हो गए भले कोई आज भी फकीर ही हो , पर यह चर्चा का विषय था।

उस समय तो वायरल आडियो भी सुने जाते थे और बहुत सी बातें व्यक्तिगत ही रह गईं जिससे लगता था कि अब सोनी परिवार का बीजेपी से कोई वास्ता कभी नही रहेगा लेकिन इस रक्षाबंधन ने सियासी रूप धारण कर लिया है। फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो लोग फिर कयास लगाने लगें।

हमने इस संबंध मे बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष व चित्रकूट प्रभारी देवेश कोरी से लोक व्यवहार के अंतर्गत जब बात की तो उन्होंने कहा कि राखी कोई भी आकर बांध सकता है। उनका मन था तो बंधवा ली गई लेकिन मैं पार्टी के निर्देश पर संगठन का काम करता हूँ बाकी और कोई बात नही है।

फिलहाल सियासी जवाब कोई कुछ भी दे लेकिन चुनाव की तनातनी के बाद भी एक रिश्ता भाई बहन का फलेगा फूलेगा तो यह सनातन धर्म और समाज के लिए अच्छा संकेत है। इसलिए सियासत को समझना आम खाना नही है कि कच्चा आम है तो खट्टा ही होगा और पका है तो मीठा होगा यहां सियासत जलेबी है जिसका रंग और मिठास सबको पता है लेकिन गोल गोल घूमकर जलेबी कितने चक्कर मे पकेगी यह तो पकाने वाला जानता है और सियासत ऐसे ही पकती है कुछ रिश्ते सियासत मे बनते भी हैं तो सामाजिक दिखते हुए भी सियासी रूप लिए रहते हैं।

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