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अगर किसी समाजसेवी व्यक्तित्व पर लिखने का मन हो तो मुझे पूर्णता महसूस होते हुए समाजसेवी व्यक्तित्व के धनी अशोक दुबे भैया पर लेखनी के “पंख” खोलकर लेखन की उड़ान भरने में पूर्ण साहस का अहसास होता है। चूंकि भैया दिखावे से दूर अंधेरे में तमाम उन जिंदगियों की मदद करते रहे जिनकी जिंदगी में अंधेरा था और मदद से प्रकाश फैल गया। लोगों को समस्याओं से निजात मिलने का साक्षी अनेक बार स्वयं मैं रहा।

इन दिनों भैया देश की राजधानी दिल्ली पहुंचे और केंद्र सरकार के मंत्रियों से मुलाकात कर सामाजिक हित पर चर्चा की , इस दौरान रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा जी से भी मुलाकात हुई।

जब कोई परोपकार करने वाला व्यक्तित्व समस्या सही पटल पर रखता है तो उस पर गौर भी प्रमुखता से किया जाता है। वैसे भी भैया स्वयं बहुत कुछ चित्रकूट के लिए प्रदान करते रहे हैं। ऐसे व्यक्तित्व से ही जाने कितनों के मन में साहस का संचार होता रहता है और उनमें से एक मैं भी हूँ कि भैया कि वजह से मन में साहस का संचार महसूस कर लेता हूँ और ऐसे व्यक्तित्व को अपना आदर्श मानना अच्छा लगता है।

हमारा प्रयास ( संस्था ) भैया की सोच और आदर्शों पर अनवरत समाज के लिए काम करती रहेगी। संस्था के आदर्श और संरक्षक का विराट व्यक्तित्व समाज के लिए हमेशा आदर्श व्यक्तित्व रहेगा। समाज में अच्छाई का प्रसार हो इसलिए अच्छे लोगों के कार्यों पर लिखा जाना आवश्यक होता है। इतना लिखने के पीछे मेरी यही मंशा है कि हम सभी मददगार के फरिश्ते बनकर जीवन जिएं और तमाम जीवन का सहारा बनें , यही जिंदगी है।

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