विश्व पुस्तक दिवस पर संसार बधाइयों से पट गया है। इस दिन राजनेताओं ने किताबें पढ़ने का सुझाव दिया है। बुंदेलखण्ड की बांदा लोकसभा के सांसद आरके पटेल ने फेसबुक पर पोस्ट कर बधाई देते हुए किताबों के महत्व पर शब्द बोध कराया
दुनियाभर मे 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। यह दिन पृथ्वी दिवस मनाने के अगली सुबह ही आ जाता है। कितना खूबसूरत संयोग है और यह संयोग एक स्पष्ट संकेत है कि देखो पृथ्वी के पंचतत्व का संरक्षण पहले जितना आवश्यक है उतना ही आदमी की देह जो पंचतत्व से बनी हुई है उसका भी संरक्षण आवश्यक है और यह संरक्षण आदमी की अपनी जागरूकता से हो सकता है।
जागरूक करने का सबसे उत्तम माध्यम किताबे हैं। खुद को जगाने के लिए किताबें जागरण का सबसे बड़ा मंच हैं। एक जागरण खुद का होना आवश्यक रहता है। इसलिए सभी को हर उम्र मे लगभग हर दिन कुछ ना कुछ अवश्य पढ़ना चाहिए। वह वेद हों , श्रीमद्भागवत गीता हो , रामायण हो और उपनिषद भी हो सकते हैं या फिर किसी भी लेखक द्वारा लिखी अच्छी किताब हो।
बुंदेलखण्ड मे अच्छे लेखक भी हैं। एक युवा लेखक सौरभ द्विवेदी की किताब सोशल काॅकटेल की खूब चर्चा हुई है यह समाज के प्रत्येक पहलू पर आधारित किताब बताई जाती है। बुंदेलखण्ड वासी इस किताब को भी पढ़ सकते हैं।
वैसे भी यह दिन महान लेखक व दार्शनिक विलियम शेक्सपियर और मिगुअल डे सर्वेंट्स और जोसेप प्लाया के स्मरण मे मनाना शुरू हुआ था।
इस दिन विभिन्न देशों अनेक प्रकार के खेल आयोजित होते हैं जैसे स्पेन मे दो दिन तक रीडिंग मैराथन का आयोजन किया जाता है और स्वीडन मे लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
और हम तो भारतीय हैं जिनमे विश्व गुरू पुनः बनने की ललक है तो यह ललक पढ़ने लिखने से ही साकार होनी है इसलिए विश्व पुस्तक दिवस के महत्व को समझते हुए पढ़ने की आदत डालें यह सबसे अच्छी आदतों मे से एक आदत होगी , यही आपके जीवन जागरण का सबसे उपयुक्त पथ है.