SHARE

रील का मनोविज्ञान क्या है ? अक्सर रील हमारे सामने आ ही जाती है। उन आरतों को देखते हैं तो एक ही सवाल मन मे आता है कि ये रील वाली आरते रहती कहाँ हैं ? जिस तरीके की रील बन रही है उससे खुद उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? क्या लाभ मिलेगा , मानसिक या आर्थिक अथवा सामाजिक प्रभाव ? सुख या समृद्धि मे से क्या मिलेगा ?

जो लोग कभी सागर के किनारे नही पहुंचे जिसे बीच कहा जाता है और पश्चिम से लेकर पूर्व तक बीच वालियों का अपना एक संसार है उससे हमे कोई आपत्ति भी नही है महज एक उदाहरण है कि उस तरह की रील महज 30 सेकंड की फेसबुक पर भेजी जा रही है।

अन्याय प्रकार के नृत्य जो शायद ही नृत्य की किसी भी विधा से इत्तेफाक रखते हों लेकिन वह भी यहाँ – वहाँ और जहाँ – तहाँ से हमारी दृष्टि मे गोचर होने को आ जाते हैं।

कुछ महिलाओं को पता ही नही है कि उनको करना क्या है ? राजनीति करना है कि रीलनीति करना है ? उनकी रील देख लो पता ही नही लगता कि महिला नेत्री हैं या फिर रीलनेत्री हैं।

रील बनाने के लिए कुछ खास करना नही हैं , महज दो ही विकल्प हैं या टाॅप – टीशर्ट आदि अनादि वस्त्र उतार देने हैं अथवा मार्केट से खास तरह की कुछ टीशर्ट खरीदार लाना है जो सामने वाला को दृष्टि – गोचर हो सके और कोई वन लाइन – टू लाइन कहीं से किसी शायर की उठानी है , कोई आडियो – वीडियो मिक्स करना है और ऐसे फीचर्स जो डिमांडेबल हों फिर अपलोड कर देना है।

बड़ी बात है कि लोगों के लिए तीस सेकंड माने कुछ नही है एक स्क्रॉल मे देखकर निकल लेते हैं और रील बाजों को लगता है कि वह महान कार्य कर रहे हैं और इससे सोशल मीडिया पर सबकुछ प्राप्त किया जा सकता है। यह भ्रम है।

सर्वप्रथम अपना कार्य और अपने व्यक्तित्व का आकलन करना चाहिए। हाँ आपके काम से संबंधित 30 सेकंड का कुछ खास दर्शाया जा सके तो यह सुविधा उम्दा है और इसका प्रयोग करना चाहिए अन्यथा आप तय कर लो कि हो क्या ?

सवाल यही उपजता है रील वाली औरतें कहाँ रहती हैं ? महिला नेत्री हैं या रीलनेत्री हैं ? उन महिलाओं के बारे मे सोचिए जिन्होंने व्यक्तित्व के अनुसार कार्य कर समाज और राष्ट्रीय पटल पर उम्दा कद स्थापित किया है।

#Facebookreel

image_printPrint
5.00 avg. rating (98% score) - 1 vote