@Saurabh Dwivedi
ग्रामीण क्षेत्र की कहानी पंचायत मित्र भ्रष्टाचार मे संलिप्त हैं।
सपा सरकार मे पंचायत मित्र नामक पद सृजित किया गया था। मित्र शब्द से ही स्पष्ट है कि गांव के मित्र होंगे , जनता के मित्र होंगे। कम वेतनमान मे जनता के कार्यों को सरलता से सुलझाया जाएगा परंतु हाल ही के पंचायत चुनाव से स्पष्ट झलक मिली कि ये नेतागिरी भी करते हैं ऊपर से इनकी भ्रष्टाचार की कहानियां सरेआम चर्चित होने लगी हैं। तय होता जा रहा है कि गांव – गांव से इनकी भ्रष्ट – दबंग कहानियां सामने आने लगें तो कोई अचरज की बात नहीं होगी।
हाल ही मे संपन्न हुए पंचायत चुनाव मे साफ झलक कर आया कि बहुत से पंचायत मित्रों की पत्नियां चुनावी मैदान मे थीं तो वहीं इनके भाई भी पंचायत चुनाव मे ताल ठोक रहे थे। लेकिन इस ताल ठोकने के पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प एवं भयभीत करने वाली है तो वहीं भ्रष्टाचार की परतें ऐसे फटती नजर आती हैं जैसे मई – जून मे सूखे तालाब की तलहटी मे पपड़ी नजर आती हैं , पूरा का पूरा तालाब दर्रा मार देता है।
एक गांव के पंचायत मित्र की कहानी जनता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि चुनाव से पूर्व ही उसने गरीब मजदूर वर्ग के खाते मे एनकेन प्रकारेण धन भिजवाकर वोट साधने का प्रयास किया। वहीं तमाम लोगों को सरकारी आवास दिलाने का भरोसा दिया गया। भरोसा इस तरह दिया गया कि एक रजिस्टर बनाया गया , उसमे नाम दर्ज कर आधार कार्ड व फोटो आदि लेकर चुनाव संपन्न होते ही आवास की पहली किस्त भिजवाने का वादा कर दिया गया।
इस वैध अवैध भ्रष्टाचार मे सचिव की संलिप्तता की बात भी की जाती है। चूंकि चुनाव के महीने दो महीने पहले तमाम एकाउंट पर मनी ट्रांसफर सचिव को साधकर ही किया गया। अवैध धन को वैध दिखाकर सरकार की आंखो पर धूल झोंक दी गई। और ग्राम पंचायत में चुनाव साधने का भरपूर प्रयास किया गया। जब कुछ धन तमाम परिवार मे पहुंच जाएगा तब सरकारी आवास चुनाव बाद मिलने की संभावना पर विश्वास कर लिया जाता है। इस तरह जनता को बरलगलाना सरल हो जाता है।
इसमे सचिव की संलिप्तता इसलिए सरल हो जाती है कि उन्हें कट मनी आसानी से मिल जाती है और बजट खर्च करने का टार्गेट भी पूरा कर लिया जाता है। साथ ही भविष्य मे पंचायत मित्र के परिवार मे ही प्रधानी आने से सचिव स्वयं के उज्वल भविष्य की उम्मीद पाल बैठते हैं जैसे कि फिर ग्राम पंचायत से ऊपरी कमाई अधिक सरल हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार यदि तीसरी नेत्र का प्रयोग करे तो तमाम पंचायत मित्र की पत्नियां चुनावी दंगल मे कूदी हुई मिल जाएंगी। इनके भाई भी मिल जाएंगे। जहाँ जैसी सीट वैसे महिला या पुरुष के रूप मे प्रत्याशी नजर आ जाएंगे। कुछ जगहों पर इनके भाई – पत्नी को जीत नसीब हुई है तो कहीं करारी शिकस्त भी खानी पड़ी है।
महज चुनावी हार जीत की बात नही है। अपितु सपा सरकार के समय जिस उद्देश्य से इनकी नियुक्ति की गई थी उसका वर्तमान मे कैसा परिणाम आ रहा है इसकी जांच / समीक्षा की आवश्यकता है। यहाँ तक कि गांव मे लोग इन्हें सचिव साहब कहकर बुलाने लगे हैं शायद उन्हें पता ही नहीं कि यह मित्र हैं जो आज शत्रु बन चुके हैं।
ये गांवदारी को प्रभावित करते हैं। पंचायत चुनाव मे जमीनी स्तर पर गांव के चुनाव को प्रभावित करने लगे हैं। जनता सरकारी लाभ पाने की उम्मीद से इनके झांसे मे सरलता से आ रही है। सरकारी प्रभाव की वजह से गांव के घर घर मे सरलता से प्रवेश मिल जाता है। इन्हीं सब कारणों से ये अब गांव मे अपना प्रधान बनाने की कोशिश करने लगे हैं। समयानुकूल पत्नी या भाई आदि परिजन को चुनावी मैदान मे उतारने लगे हैं। कहीं कहीं इनके परिजन अथवा खास को फतह हासिल हो चुकी है।
कहते हैं समय के साथ परिवर्तन होना चाहिए। गांव मे स्वस्थ माहौल के लिए पंचायत मित्रों को मूल गांव मे तैनाती ना देकर आसपास के अन्यत्र गांव मे तैनाती दी जानी चाहिए। जिससे ये सरकारी प्रभाव की वजह से पंचायत चुनाव को प्रभावित ना कर सकें अन्यथा तय है कि अभी ये शुरूआत है भविष्य मे पंचायत मित्र ही गांव मे किसी खास अथवा परिजन को प्रधान बनाएंगे अथवा किसी ना किसी को चुनाव हरवाने मे बड़ी भूमिका निभाएंगे , जिससे भविष्य मे गांव का माहौल पहले से अधिक खराब होगा।
गांव भारत की आत्मा है और आत्मा को सुंदर व स्वस्थ बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को निश्चित रूप से ऐसी पहल करनी चाहिए जिससे गांव को बचाया जा सके। चूंकि पंचायत मित्र अब सरकारी दलाल की भूमिका मे चर्चित हो रहे हैं। जब मैंने ट्विटर पर इससे संबंधित ट्विट किया तो लगभग ग्यारह यूजर इस बात की वैचारिक पुष्टि कर चुके हैं ग्रामीण क्षेत्र की कहानी पंचायत मित्र भ्रष्टाचार मे संलिप्त हैं , सिर्फ इतना ही नहीं भविष्य मे इनके द्वारा पंचायत चुनाव को पूर्ण रूपेण प्रभावित करने की संभावना से कोई इंकार नहीं कर रहा है। जिससे लगता है कि तैनाती के दिनांक से अब तक के कार्यकाल की जांच होनी आवश्यक है। पद समाप्त हों अथवा अन्यत्र गांव मे तैनात किए जाएं जिससे काम मे पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।