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माता – पिता की सेवा के लिए श्रवण कुमार का उदाहरण हमेशा दिया जाता है। जब उन्होंने कंधे पर दोनो ओर माता – पिता को लेकर चारधाम की यात्रा कराई थी। लेकिन उनका जन्म हर काल मे होता है सिर्फ सेवा करने का स्वरूप बदल जाता है। ऐसे ही इस युग के प्रशांत तिवारी ऊर्फ मोंटी श्रवण कुमार के रूप जाने जाएंगे।

प्रशांत के पिता प्रमोद तिवारी बैकुंठवासी हो चुके हैं। उन्होंने अपने संत स्वभाव के पिता की स्मृति मे अनन्तकाल तक भंडारे का आयोजन करने का संकल्प ले लिया। कामदगिरि परिक्रमा मार्ग मे द्वितीय मुखार बिंदु के समीप प्रतिदिन शाम को भंडारे का आयोजन होता है।

यह जानकारी देते हुए महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों मे संस्कार के बीज बोए जाएं तो एक बेटा प्रशांत तिवारी जैसा भी समाज के सामने बड़ा उदाहरण बनकर सामने आता है। उन्होंने कहा कि यह श्रीराम की तपोस्थली है जहाँ फिर से एक बार एक पुत्र अपने पिता के लिए तप कर रहा है और उनके तप से गरीब निराश्रित एवं संत समाज के पेट की भूख मिटाने का काम कर रही है।

श्रीराम अपने पिता दशरथ के वचन को पूर्ण करने के लिए एक दशक से ज्यादा समय तक चित्रकूट मे सन्यासी की तरह निवास किए और अब पुनः प्रशांत तिवारी ऊर्फ मोंटी अपने पिता की स्मृति मे अपने जीवनकाल तक और अनंतकाल तक श्री कामदगिरि अन्नक्षेत्र की शुरूआत कर दी है जिन्होंने इस भंडारे के आयोजन की पूर्ण जिम्मेदारी खुद ही लेने का निर्णय लिया है।

साफ अक्षरों मे दर्शाया गया है कि अन्नक्षेत्र के नाम पर कोई सहयोग नही मांगेगा और ना ही कोई सहयोग करे यह भंडारा अनंतकाल तक प्रशांत तिवारी आयोजित कराएंगे। सचमुच यह बहुत बड़ा संकल्प है कि एक बेटा पूरी उम्र साल के 365 दिन शाम के वक्त गरीब और संत समाज की भूख मिटाने के लिए पिता के नाम ” भूख यज्ञ ” समर्पित कर देता है।

दिव्या त्रिपाठी ने कहा कि प्रशांत तिवारी हमारे पारिवारिक सदस्य की तरह रहे हैं जैसे उनके पिता ने उन्हें संस्कार दिए आज वैसा ही सुंदर फल समाज को मिल रहा है और चित्रकूट का नाम रोशन हो रहा है। हमारे धार्मिक इतिहास का यह पन्ना श्रीराम के बाद स्मरणीय होगा चूंकि एक पुत्र श्रीराम हैं तो एक पुत्र कलयुग मे प्रशांत तिवारी हैं , ऐसे ही पुत्र देश कुल और परिवार का नाम रौशन करते हैं।

सर्वसमाज की ओर से प्रार्थना है कि प्रशांत तिवारी के इस संकल्प मे भगवान श्रीराम , कामतानाथ का जो आशीर्वाद है वह हमेशा फलीभूत होगा। अन्नक्षेत्र का प्रसाद हर भूखे पेट को तृप्त करेगा और हमारे धार्मिक स्थल चित्रकूट का वैभव बढ़ेगा।

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