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विधायक अनिल प्रधान की राजनीति शोध का विषय है। धरना से शुरू हुई राजनीति मे विधायक बनने के बाद भी धरना दिया जा रहा है। जब विपक्ष मजबूत होता है तो दिलचस्पी मजेदार होती है। नरेन्द्र गुप्ता को इस समय उनसे ही चुनौती मिल रही है जिन्होंने कभी इनको चुनाव जिताने मे भूमिका निभाई थी।

आईने मे झलक रहा है मुहल्ले मे पानी भरा हुआ है। वह भी मोहल्ला कोई आम नही खासमखास एसडीएम साहब के नाम से प्रसिद्ध मोहल्ला है जिसको एसडीएम कॉलोनी के नाम से जाना जाता है। एसडीएम साहब की नाक का भी सवाल बन जाता है कि उनके ही मोहल्ले मे प्रशासन फेल है , शासन फेल है और जनता जल भराव से परेशान है तो वहीं बीमारी का शिकार भी होगी तो इस मामले में एसडीएम साहब भी एक्शन ले सकते हैं और तीव्र गति से जनता को समस्या से निजात मिलनी चाहिए।

अब मसला राजनीति के मसाले का है जैसे तरकारी स्वादिष्ट तभी होती है जब उसमे गरम मसाला डाल दिया जाए और तेज पत्ता की तेजाई से महक आने लगती है। ऐसी ही महक चित्रकूट मे नगरपालिका चुनाव की आने लगी है।

धरना देना जरूरी भी है। वह भी नगरपालिका की छाती पर चढ़कर धरना देने से जनता की उम्मीदें जगेंगी और समाजवादी पार्टी से टिकट लेने वालों का बाजार भी सज जाएगा। स्थानीय स्तर पर अनिल प्रधान और अनुज सिंह यादव का यह संघर्ष उनके दल के प्रत्याशी की जीत की फिर से गारंटी बन सकता है जहाँ से जीतकर आने वाले नरेन्द्र अपना पाला बदल चुके हैं।

यह भी सच है कि अनिल प्रधान के विधायक बनने से चित्रकूट की राजनीति मे परिवर्तन की लहर चल रही है। बयार मध्यम मध्यम ही सही पर जनता को विकल्प मिलते ही वह मोहर ठोकने मे देर नही करती। जैसे जैसे राजनीति मे आगे बढ़ते हैं वैसे वैसे प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने की चुनौती सामने होती है ऐसी ही चुनौती अनिल प्रधान के सामने भी है कि उनके नेतृत्व मे सपा निकाय चुनाव हारती है या जीतती है ?

अब सपा को चाहिए होंगे मजबूत कैंडीडेट जो धनबल , जनबल और बाहुबली होने के साथ संवेदनशील व विनम्र हों उनका लोक व्यवहार कम से कम उनके विधायक की तरह तो होना चाहिए। बेशक यह जनहित की समस्या हेतु धरना दिया गया लेकिन इसके राजनीतिक मायने धुरंधर लोग बखूबी समझते हैं और यह आने वाले नगरपालिका चुनाव मे साफ हो जाएगा की दूध फाड़कर पनीर सपा बनाएगी या भाजपा लेकिन बसपा का एक संभावित प्रत्याशी भी नगरपालिका मे खासा प्रभाव रखता है तो कांग्रेस केन्द्र की तरह ही जनपद मे भी चुप्पी साधे बैठी है।

इधर सपा की ओर से व्यापारी नेता पप्पू जायसवाल नगर के मुद्दों को लेकर खूब मुखर रहे हैं जैसे वो अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हों पर देखना होगा सपा किसके सर नगरपालिका की मौर बांधकर भविष्य मे अपना प्रत्याशी घोषित करेगी।

कुलमिलाकर देखा जाए तो यह धरना बड़ी राजनीतिक बढ़त के लिए अखिलेश यादव को आदर्श मानने वाले अनिल प्रधान का केजरीवाल सा प्रयास है। फिलहाल सबके प्रयास जनता के दर पर अभी भीख मांगते नजर आ रहे हैं जिनके परिणाम नवंबर या जनवरी तक मिल सकेंगे।

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