
मंदाकिनी के बहाने आत्मस्वच्छता की पहल चित्रकूट में रविवार को जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह की अगुवाई में मंदाकिनी नदी की सफाई का जो अभियान शुरू हुआ, वह केवल एक प्रतीकात्मक पहल नहीं, बल्कि जन-जागरण की एक नई रेखा खींचने जैसा है। यह दृश्य राजनीतिक और सामाजिक समरसता का जीवंत उदाहरण था, जहाँ सेवा, सरोकार और संकल्प एक साथ दिखाई दिए।

जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव ने कहा, “नदी का स्वच्छ रहना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, समाज की साझी भागीदारी भी है।”
भाजपा जिलाध्यक्ष महेन्द्र कोटार्य ने कहा, “हमारी संस्कृति में नदी केवल जल स्रोत नहीं, माँ समान पूजनीय है। इसे निर्मल और अविरल बनाए रखना हमारी परंपरा का हिस्सा है।”
जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय ने कहा, “जब युवा और महिलाएं ऐसे कार्यों में सामने आते हैं, तब अभियान आंदोलन बनता है।”
जिला महामंत्री आलोक पाण्डेय बोले, “हमें हर महीने ऐसे अभियान चलाने चाहिए, ताकि जागरूकता बनी रहे।”
जय बजरंग सेना की महिला कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी ने यह दर्शाया कि सामाजिक जिम्मेदारी अब केवल पुरुषों तक सीमित नहीं रही।
वहीं, दिव्या त्रिपाठी की सोशल मीडिया पोस्ट “मुझे दुख है कि मैं शामिल नहीं हो सकी” यह सिद्ध करती है कि मन से जुड़ाव शारीरिक उपस्थिति से भी बड़ा होता है।
पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय की मौन उपस्थिति स्वयं में एक संदेश थी — कि कर्म दिखावे से नहीं, निष्ठा से पहचाना जाता है।
मंदाकिनी की सफाई का प्रश्न केवल कूड़ा उठाने भर से हल नहीं होगा।
यह नदी अब एक आत्मिक प्रश्न बन चुकी है कि क्या हम नदी को उसकी मूल चेतना में लौटा पाएंगे ?
अविरलता और निर्मलता के लिए आवश्यक ठोस सुझाव :
1. स्थायी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) :
हर कस्बे व गांव से आने वाले गंदे नालों को रोका जाए और उनका वैज्ञानिक रूप से उपचार हो।
2. जन-सहभागिता समिति :
हर गाँव, हर घाट पर स्थानीय नागरिकों की निगरानी समिति बनाई जाए जो हर हफ्ते घाट की सफाई व निगरानी करे।
3. नदी संस्कार अभियान :
स्कूलों, मंदिरों व अखाड़ों में नदी की महत्ता को लेकर विशेष शिक्षा अभियान चले — नदी को उपयोग की नहीं, उपासना की वस्तु बताया जाए।
4. अविरल प्रवाह हेतु अतिक्रमण मुक्त अभियान :
नदी के प्राकृतिक बहाव पर जो भी अतिक्रमण हैं, उन्हें संवेदनशीलता व सख्ती से हटाया जाए।
5. “एक परिवार, एक दिन नदी के नाम” योजना :
हर परिवार से वर्ष में एक दिन, नदी सेवा के लिए समर्पित करने का आग्रह किया जाए।
यदि यह संकल्प अभियान में बदला, और अभियान जनांदोलन में तब मंदाकिनी सिर्फ साफ ही नहीं होगी, बल्कि वह फिर से वही तीर्थ बन सकेगी जिसकी गोद में राम और तुलसी दोनों पले।
And perhaps, then the lampshikhas burning in Aarti will be able to truly say this –
“Maa Mandakini, now you are Nirmal, you are Aviral.”