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@Saurabh Dwivedi

जब हम बचपन मे पढ़ रहे थे। जूनियर कक्षाओं मे अध्ययन चल रहा था। ज्यादा पढ़े – लिखे नहीं थे। किन्तु विज्ञान पढ़ने लगे थे। दुनिया भर के आविष्कार का अध्ययन होने लगा था।

इसी बीच हम बच्चों के मन मे एक फ्रेम सेट हो गया। पता नहीं कहाँ से हो गया ?

भगवान नहीं हैं !

लेकिन यह किसी ने नही बताया कि अल्लाह नहीं हैं या ईशू नहीं हैं।

बस भगवान नहीं हैं।

अगर कुछ है तो विज्ञान है।

घूस दबाव मे देते हैं – दान ईश्वरीय इच्छा से देते हैं “

वही विज्ञान जिसे हम रट रहे थे। परीक्षा मे पास होने के लिए आविष्कार और आविष्कारक का नाम रटते थे। पानी कैसे बनता है ? आक्सीजन और हाइड्रोजन को इसलिए रटते थे।

किन्तु अगर कुछ खत्म कर दिया गया था तो वह “यह कि भगवान हैं।” भगवान जैसी कोई चीज नही है। ऐसी कोई शक्ति नहीं है।

यह ज्ञान मिटा दिया गया था।

क्यों ! क्योंकि विज्ञान है।

जबकि इसी विज्ञान में ‘ ज्ञान ‘ छिपा हुआ है। ज्ञान को मिटाकर विज्ञान का ज्ञान कैसे होगा ?

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असलियत यह है कि आपको आपकी सर्वोच्च शक्ति से काट दिया जाए। सर्वोच्च शक्ति का कनेक्शन आपसे कट जाए तो फिर आप हो क्या ? आपका अस्तित्व क्या है ? आसानी से मिटा दिए जाओगे एक दिन। या मिट जाओगे।

और जिओगे तो वह जीवन नही जो होना चाहिए। एक फ्यूज बल्ब भी बल्ब ही होता है पर वह प्रकाश नहीं दे सकता।

जैसे विज्ञान से बल्ब का आविष्कार हुआ। अब बिजली ना हो तो ? बल्ब का क्या अस्तित्व रह जाएगा ? बल्ब बेकार हो जाएगा। बल्ब का आविष्कार बेकार हो गया। चूंकि बिजली ही नहीं है।

ऐसे ही बल्ब से बिजली का कनेक्शन काट दिया जाए फिर बल्ब माने कुछ नहीं है। जो बल्ब प्रकाश देता है उसके रहते हुए भी अंधकार छाया रहेगा चूंकि बल्ब का सर्वोच्च शक्ति बिजली से कनेक्शन काट दिया गया है।

यह बल्ब हमारा जीवन है। हमारी जिंदगी का कनेक्शन पहले ही काट दिया जाता है। सर्वोच्च शक्ति से कनेक्शन काट दिया गया अब मृत्यु तक ईश्वरीय शक्ति पर विश्वास – अविश्वास होता रहेगा।

विज्ञान की स्थापना के लिए ईश्वर के प्रति अज्ञान भरा गया। यह लगातार चलता रहा और अब भी चल रहा है। कितना खतरनाक है कि बचपन से ही हमारी सर्वोच्च शक्ति से काट दिया जाए फिर जीवन भर अंधकार और प्रकाश के संशय मे जीते रहेंगे।

यहीं से जीवन मे असफलता की कहानी शुरू हो जाती है। चूंकि शक्ति के बिना जीवन नहीं है। एक सर्वोच्च ऊर्जा के बिना जीवन नही चल सकता। एक आनंदमय जीवन सर्वोच्च शक्ति के निरंतर संपर्क और कृपा से ही संभव है।

इसलिए बच्चों के मन मे यह फ्रेम ना सेट होने पाए भगवान नहीं हैं। सर्वोच्च शक्ति से निरंतर संपर्क रहते हुए ही सही समय पर सही मार्ग मे सफल हुआ जा सकता है। जीवन मे चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे। सहज और सुखद जीवन जिया जा सकता है।

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