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By :- Saurabh Dwivedi

जनपद चित्रकूट के जिला न्यायालय से ऐतिहासिक फैसला सामने आया। जिसमें सैनिक परिवार को तीन साल बाद न्याय मिलने की बात सामने आई है। इस न्याय से वकील द्वारा राष्ट्र सेवा किए जाने का उदाहरण भी प्रस्तुत हुआ है। वकील भी इस तरह से राष्ट्र सेवा में भागीदार हो जाते हैं। यह पूरा मामला इंश्योरेंस कंपनी और सैनिक परिवार के इर्द-गिर्द रहा। साफ नजर आता है कि इंश्योरेंस कंपनी स्वयं को बचाने के लिए तमाम गडबड़ियां करने की कोशिश करते हुए दुर्घटना उपरांत राशि देने से बचने की कोशिश करती है।

नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड माल रोड कानपुर को जिला न्यायालय चित्रकूट से बड़ा झटका लगा है। यह झटका दिलाने वाले अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी का बड़ा प्रयास है। जिन्होंने सबूत और जिरह की बदौलत सैनिक की विधवा पत्नी नेहा सिंह व सैनिक के माता-पिता को बड़ी राहत दिलाई है।

गौर करने योग्य है कि सैनिक देश के लिए शहीद होते हैं। सैनिक देश के लिए सेवा देता हैं। वे आम जन की सुरक्षा के लिए सीमा से लेकर एयरपोर्ट तक कर्तव्य का निर्वहन करते हैं। ऐसे ही एक सैनिक संदीप सिंह प्रयागराज के बमरौली एयरपोर्ट पर तैनात थे। जो तीन वर्ष पहले एक शाम स्कूटी से घर वापस हो रहे थे। अचानक से कार द्वारा टक्कर लगने से गंभीर रूप से घायल हुए , तत्पश्चात उनकी साँसें थम जाती हैं।

उन्होंने कानपुर स्थित इंश्योरेंस कंपनी से इंश्योरेंस कराया था। दुर्घटना बीमा का वादा करने वाली कंपनी आनाकानी करने लगती हैं। इसलिये सैनिक परिवार को न्यायालय की शरण लेना पड़ा। अफसोस जनक है कि कंपनी द्वारा सैनिक का सम्मान और विधवा पत्नी का दर्द भी नजरंदाज किया गया। वे महसूस कर सकते थे कि देश की सेवा करने वाले की पत्नी का क्या हाल होगा ? उनके जीवनयापन और सुख को महसूस करते तो परिवार को न्यायालय की शरण लेकर तीन साल का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता है। परंतु सच है कि इंसानी संवेदनाएं मरती जा रही हैं जो एक प्रेममय सुखी जीवन के लिए घातक हो रहा है।

इस देश की नींव अगर मजबूत है तो उसमें सैनिक की शहादत और नेहा सिंह जैसी पत्नियों के त्याग की बड़ी वजह है। ऐसे में सैनिक और सैनिक परिवार के प्रति श्रद्धा का बना रहना आवश्यक है। इस मामले में कानूनन विजय अवश्य हुई है परंतु मानवता और प्रेम की हत्या एक कंपनी द्वारा जरूर की गई है।

कानून के आधार पर जिला न्यायाधीश रामलखन सिंह चंदरौल ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ फैसला सुनाकर सैनिक परिवार को बड़ी राहत प्रदान की है। उन्होंने सैनिक परिवार को कुल 81 लाख , 71 हजार और 740 ₹ कंपनी द्वारा अदा करने का आदेश सुनाया। यह फेसला इसलिये महत्वपूर्ण है कि फिर कभी कोई इंश्योरेंस कंपनी किसी भी उपभोक्ता के साथ आनाकानी करने की कोताही ना करे।

यकीनन नेहा सिंह के हृदय को बड़ी राहत मिली होगी और उनके असहाय माता-पिता को भी फैसला सुनकर अपार सुख मिला होगा। यह फैसला कानून का फैसला होने के साथ अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी के भागीरथ प्रयास का भी प्रतिफल है। ऐसी वकालत देश और समाज के लिए न्याय के क्षेत्र में उत्तम प्रयास है। साफ है कि वकालत अच्छे मन से की जाए तो यह पेशा प्रकृति के न्याय के सिद्धांत पर खरा उतरता है।

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