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Written by – Saurabh Dwivedi

पुलिस की छवि को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। यहाँ तक की पुलिस को वर्दी वाला गुंडा जैसी कहावत से प्रचारित किया जाने लगा। सर्वविदित है कि जनता और पुलिस के मध्य विश्वास का वह पुल कायम नहीं रहा जिसकी जरूरत समाज व सरकार को सदा से रही है। 

हाल-फिलहाल कुछ ऐसे वाक्यात सामने आए हैं, जिनमें पुलिस की छवि में सुधार की बेहतर संभावना महसूस होने लगी। हालिया मामला चित्रकूट जिले के थाना पहाड़ी में एक रोड एक्सीडेंट के दौरान देखने को मिला, जिसमें महिला पुलिस कर्मी पीड़ित परिवार की बेटी को गले से लगाकर संवेदना प्रदान करती हुई दिखी। हम उस महिला पुलिस कर्मी का परिचय नहीं ले सके, किन्तु उनकी सहयोगी संगिनी की नेम प्लेट पर हमारी नजर पड़ गई थी। जो कैमरे में कैद नहीं हो सकीं लेकिन वह भी महिलाओं को स्पर्श भरे संवेदना से ढाढस बंधाने का अच्छा प्रयास कर रहीं थी। 

इस घटना के दौरान इन दोनो लेडीज पुलिस का व्यवहार आम जन के प्रति उत्तम महसूस हुआ। इससे पहले रेल दुर्घटना के समय भी एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें एक महिला पुलिसकर्मी पीड़ित महिला के संग रोती हुई दिखीं। एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि ममत्व जैसे नैसर्गिक गुण की वजह से पुरूष पुलिस की अपेक्षा महिला पुलिस समाज के मध्य ज्यादा असरदार सिद्ध हो सकती है। 

हाल ही में नावागंतुक थानाध्यक्ष पहाड़ी अरूण कुमार पाठक  से मुलाकात के समय रूचिकर विषय सामने आया कि वो सिर्फ एक थानाध्यक्ष नहीं बल्कि समाज व कानून के अच्छे जानकार होने के साथ-साथ उम्दा लेखक भी हैं। इसलिये उनकी मैनेजमेंट क्षमता भी बहुत अच्छी मानी जा रही है। जनता के प्रति संवेदनशीलता के मामले में भी उनकी उत्तमता से शायद ही कोई टक्कर ले सके। जब पुलिस की इस प्रकार की छवि दिखती है, यकीनन न्याय की उम्मीद में चार चांद लगे महसूस होते हैं। 

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