लोकसभा चुनाव 2024 से पूर्व भाजपा के कार्यकर्ताओं के थकने की खबरे आ रही हैं। जमीनी स्तर का कार्यकर्ता महाराणा प्रताप के चेतक की तरह दौड़ते दौड़ते थक चुका है , बस चेतक की जान निकलनी बाकी है।
असल मे भाजपा महा जनसंपर्क अभियान चला रही है जिसमे प्रत्येक कार्यकर्ता को लगभग 200 लोगों से संपर्क करना है और बातें करनी हैं। लाभार्थियों से एक बार फिर मोदी सरकार लाने की अपील करनी है।
जिसके वीडियो – फोटो सब सोशल मीडिया पर डालना है। लेकिन इक्का दुक्का भाजपा नेता या कार्यकर्ता के सिवाय बहुत कम मात्रा मे जन संपर्क अभियान की झलकियाँ देखने को मिल रही हैं।
एक वर्ग फोर व्हीलर मे फार्चुनर वाला , बोलैरो वाले और स्कार्पियो वाले , इनोवा वाले ये सब नेता वर्ग के लोग हैं जो पहुंच जाते हैं चूंकि साधन संसाधन है।
जबकि भाजपा का बूथ का कार्यकर्ता बोलेरो वाला नही है। ब्लाक का कार्यकर्ता स्कार्पियो वाला नही है। सेक्टर का कार्यकर्ता थार वाला नही है मतलब ज्यादातर कार्यकर्ता संसाधन विहीन है।
इसलिए महा जनसंपर्क अभियान बैलगाड़ी की गति से चलता हुआ दिख रहा है। चूंकि भाजपा जैसा दल कार्यकर्ताओं से इतना ज्यादा काम लेता है कि पहले तो काम करने मे खून सूखता है और फिर रक्तदान दिवस मनाकर सामान्य कार्यकर्ता का खून निकाल लेती है , हालांकि रक्तदान से बहुत सारे बीमार लोगों का भला होता है।
एक्चुअल मे चेतक को थकना नही चाहिए अर्थात भाजपा के कार्यकर्ता को लेकिन हर दिन हर पल काम लेने से संसाधन विहीन भाजपा का कार्यकर्ता थकेगा तो , इसलिए आधुनिक चेतकों को 2024 से पहले भाजपा कुछ दिनों की छुट्टी दे और नई ऊर्जा भरने के लिए कुछ स्पेशल करे तभी लोकसभा का यह महत्वपूर्ण युद्ध जीत पाएगी भाजपा।
असल मे थके हारे और कमजोर सैनिकों के बल पर कोई युद्ध नही जीता जाता। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को ये बात अब समझ आने लगी होगी कि जमीनी स्तर पर गलती कहाँ हो रही है , एक बड़ा लूप होल बनता जा रहा है जो भाजपा की ओजोन परत मे से होकर कभी धराशायी कर सकता है जैसे कर्नाटक आदि हार का विश्लेषण किया ही होगा।
भारत का लोकसभा चुनाव वैश्विक राजनेताओं को भी प्रभावित करता है इसलिए इस महत्वपूर्ण युद्ध को जीतने के लिए भाजपा को अपने ही कार्यकर्ताओं आराम देने और साधन संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता अन्यथा बड़ी कठिन डगर है पनघट की जिस सच्चाई को महा जनसंपर्क अभियान बयां कर रहा है।