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By – meenakshi singh

बचपन से हल की थी
पाइथागोरस प्रमेय की रचनाएँ
..
अब समझ में आया
पाइथागोरस प्रमेय का रहस्य
..
ब्रह्मांड की ओर
एक त्रिकोण से गूँजती है
अंतस से अनंत की ओर
तुम्हारी गंध को महसूस करते हुए..
..
सच कहूँ सौरभ, आपसे इस तरह की रचना की उम्मीद नहीं थी.. 👍👍👌👌
हृदय के स्पंदन से अहसास को जन्म देते हुए रचनाकार ने कविता सृजित की.. और उस भावपूर्ण कविताओं का संग्रह ये #अंतस_की_आवाज़..!! मूल्य चेतना के प्रति संवेदना की आवाज़ है ये किताब, जिसे रचनाकार ने भावों से सिंचित करते हुए शब्दों का जामा पहनाया है। वैसे तो प्रेम पर लिखने में कवि को महारथ हासिल है, ये शब्द नहीं भाव लिखते हैं.. इसके साथ ही इस संग्रह में जहाँ एक ओर प्रकृति से प्यार दिखता है वहीं दूसरी ओर आध्यात्म के रहस्य को भी समझने की बखूबी कोशिश की गयी है। कवि के अनुसार एक कविता का जन्म आह से होता है और उसे पूर्णता वाह पर मिलती है।

संग्रह अपने में विविधता को समेटे हुए है। कुल 95 कविताओं के इस संग्रह में हर तरह के पाठक को सोचते हुए रचनाएँ लिखी गयी है। ये कविताएँ कहने से ज्यादा उसे महसूस करने को विवश करती है।

यकीनन तुम जो भी हो
उसका एक अंश हूँ मैं
और तुम मेरी अंशिका..

और जब तुम छोड़ती हो हथेली
तब उस पल एकाएक महसूस होता
कि बेड़ियों में जकड़ा हूँ
काला पानी सा हो गया हूँ
इस सजा की तन्हाई में..
..
सजाओं के दौर में
गुजरता हुआ
प्रेम का मुजरिम..
भोगवादी उम्मीद को झुठलाते हुए प्रेम की उत्कृष्ट परिभाषा दी गयी है। प्रेम इंसान के लिए अनिवार्य तो तो है, परंतु इसका निर्वाह आसान नहीं है.. इसकी दुरूहता को कम करने के लिए इसे जीना पड़ता है.. तब कहीं जाकर वो प्रेम अपना वजूद कायम रख पाता है।

वैसे तो प्रेम पर बहुत लिखा गया, पर इस किताब में शब्दों पर भाव ने अपना वर्चस्व कायम रखा है और यही प्रेम की सार्थकता है।घोंसला एक प्रतीकात्मक कविता है, जिसमें एक पक्षी का उदाहरण देकर संयुक्त परिवार के विघटन और उसके सदस्यों के मनोदशा का चित्रण दर्शाया गया है..!!
कुल मिलाकर.. खुबसूरत, मार्मिक और यथार्थपूर्ण रचनाओं का संगम.. ये विविधतापूर्ण संग्रह “अंतस की आवाज़” निसंदेह पठनीय कही जा सकती है।

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