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By – Saurabh Dwivedi

गोरखपुर की इस घटना में वो लोग बेनकाब हो गए हैं। जो लंबे अर्से से यह कह रहे हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता फिर एक डाक्टर का धर्म कैसे और क्यों बता रहे हैं ? 
एक डाक्टर का धर्म हो सकता है और बरखा दत्त जैसी कथित पत्रकार ट्वीट करती है कि वो एक मसीहा है। मसीहा का धर्म होता लेकिन जो यमराज बने हैं, उनका धर्म नहीं होता है। 
जब एक डाक्टर पर निजी क्लीनिक पत्नी की आड़ मे चलाए जाने की बात सामने आती है और आक्सीजन का अवैध कारोबार करने का प्रकरण खुलता है तब उसका धर्म कहने लगता है कि वह एक मुसलमान है इसलिये उस पर कार्रवाई हुई। 

कालेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्र पर सबसे पहले कार्रवाई हुई। उन्होंने जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा भी दिया। मैं स्वयं कह रहा हूं कि भुगतान मे देरी बड़ी कमीशनखोरी की ओर इशारा करती है। हमारे देश मे कमीशनखोरी एक लाइलाज बीमारी है। संभव है कि सबकी हिस्सेदारी रही हो। जिसमे राजीव मिश्र पर हुई कार्रवाई से हमारा धर्म आहत नही हुआ। 

लेकिन इस्लाम आहत हो गया। एक डाक्टर को बर्खास्त करना धर्म के खिलाफ हो गया। आपका धर्म भी सामने आ गया लेकिन आतंकवाद का धर्म आज तक सामने नही आया और तब आपको याद आता है कि मानवता ही धर्म है। यह कैसी दोगली राजनीतिक सामाजिक मानसिकता है। 
चिंता ना करो ऐसी घटनाएं तुम्हारी मानवता के धर्म वाली दोगली मानसिकता का चीरफाड कर जनता के सामने पहुंचा देती है। अब तुम सब दोगलों का खेल खत्म होता जा रहा है। जिसमे सोशल मीडिया के योद्धाओं की सबसे बड़ी भूमिका है। अब क्रिया प्रतिक्रिया शीघ्र हो जाती है। सच का पता तुम्हारे वायरल सच से शीघ्र लग जाता है। 
मै ये नही कहता कि आतंक का धर्म होता है पर डाक्टर का धर्म बताने वालों चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाओ।

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