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By – Saurabh Dwivedi

राजनीति में बदले की भावना ना रखने की बात हर दल का करता है। नेताओं के मुखश्री से बदले की भावना ना रखने की बात हमेशा सुनने को मिलती है। किन्तु मौका मिलते ही बदले की ज्वाला भड़क उठती है। योगी सरकार ने भी शांति व्यवस्था बनाए रखने एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन का हवाला देते हुए अखिलेश यादव को लखनऊ में रोककर बदला ही लिया है।

यह दर्द सपा सरकार के समय का ही है। जब योगी आदित्यनाथ को विद्यार्थी परिषद् के कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय जाना था तब सूबे की सपा सरकार ने ऐसा ही करतब दिखाया था। उस वक्त योगी आदित्यनाथ भी अखिलेश यादव की वर्तमान दशा में थे।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सरकार से मांग की थी कि परीक्षाओं का वक्त है और ऐसे समय में किसी भी प्रकार के राजनीतिक कार्यक्रम का होना मतलब अव्यवस्था फैल जाना। सिर्फ इतना ही नहीं हिंसा भड़कने की बात भी कही गई। विश्वविद्यालय प्रशासन की मांग कितनी सही और गलत है इससे इतर सोचने योग्य है कि यूपी सरकार पूर्व सीएम को सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं प्रदान कर सकती थी।

वहीं वर्तमान में प्रयागराज बन चुके इलाहाबाद की आग सूबे के जनपद स्तर पर चिंगारी की तरह फैल गई। चित्रकूट सपा जिलाध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं के संग सीएम का पुतला जलाते हुए सरकार के इस रवैए की कड़ी निंदा की। युवा जिलाध्यक्ष अनुज यादव ने युवाओं के साथ शहर के ट्रैफिक चौराहा पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया। कुलमिलाकर इस घटना से सपाइयों को अपनी ताकत का अहसास कराने का सुनहरा अवसर भी मिला है।

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