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By – namitanshu vats

रिजर्व बैंक ने यह स्पष्ट किया है, कि विमुद्रीकरण की बात 99%  बैंक नोट बैंकों में वापस आए.  स्वाभाविक है, कि सवाल पूछा जाने लगा है, कि किस उद्देश्य के लिए  विमुद्रीकरण जैसा बड़ा फैसला लिया गया?
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मौद्रिक व्यवस्था की पूरी सफाई हुई है. काला धन पकड़ में आया, बैंकों की मौद्रिक तरलता बेहतर हुई, बेकार दबा पैसा बाजार को उपलब्ध हुआ, नकदहीन लेनदेन को बढ़ावा मिला, अर्थ और मौद्रिक व्यवस्था को लेकर आम जागरूकता फैली. और सबसे बढ़कर यह कि राष्ट्र के रूप में हमने इतने बड़े फैसले को सफलतापूर्वक पूरा करने का रिकॉर्ड कायम किया आपको भी यह सब कुछ नजर आएगा. बस अपनी बौद्धिक आंखें खोल कर देखें!
और सबसे बढ़कर की बड़ी नोटों में काला धन छुपाने की आदत को बहुत बड़ा धक्का पहुंचा है अब कोई हिम्मत नहीं करेगा की नोटों की गड्डियों के रूप में काले धन को छुपाएँ.  

इसके अतिरिक्त विमुद्रीकरण के दौरान दबे पड़े काले धन के बारे में जो विस्तृत जानकारी वित्त मंत्रालय एवं रिजर्व बैंक को प्राप्त हुआ है.. उसके विश्लेषण से हमारी अर्थव्यवस्था में व्याप्त कालेधन निर्माण होने के तौर तरीकों के बारे में अच्छी खासी जानकारी प्राप्त हुई है. विमुद्रीकरण का परिणाम है रियल इस्टेट में आसमानी कीमतें नीचे की तरफ लुढ़के हैं, और सामान्य व्यक्ति के लिए मुद्रा स्थिति को कम करने में सफलता पाई गई है. 

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