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जनसँख्या नियंत्रण हेतु समाज का एक बड़ा वर्ग जागरूक हो चुका है लेकिन वह एक समान जनसँख्या नियंत्रण चाहते हैं , महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी कहती हैं कि यह वर्ग भी चिंता इस बात की करता है कि हमारे जैसा एक वर्ग राष्ट्र हित व सुखद जीवन हेतु परिवार नियोजन को अपना ले और वहीं दूसरा वर्ग अंधाधुंध बच्चे पैदा करे !

इसलिए वह कहती हैं कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कथन बिल्कुल सत्य प्रतीत होता है कि जनसँख्या असंतुलन नही होना चाहिए। जिससे धार्मिक डेमोग्राफी पर बुरा असर पड़ेगा। यह कहना जायज है कि ऐसा ना हो कि एक वर्ग की आबादी बढ़ जाए और एक वर्ग अल्पसंख्यक की स्थिति मे आ जाए।

हाल-फिलहाल मे झारखंड से चौकाने वाली खबरें आई हैं। वह खबरें बताती हैं कि मुस्लिम समुदाय की संख्या 75% होने से उन्होंने स्कूल मे रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी की मांग रख दी। ना सिर्फ मांग रखी अपितु शिक्षकों पर दबाव बनाकर रविवार की जगह शुक्रवार के अवकाश की घोषणा भी करवा ली।

जब यह मामला प्रकाश मे आया तब प्रशासन हरकत मे आया उससे पूर्व सरकारी स्कूल के अध्यापक मजबूर थे। स्थिति अब कैसी होगी यह पता नही ! परंतु भविष्य मे स्थिति कितनी भयावह हो सकती है इस ओर का बड़ा संकेत झारखंड की यह घटना है।

इसलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का कथन कानून का रूप धारण करे ऐसी सोच आम जनमानस की सुनने को मिल रही है। समाज का एक वर्ग जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए जनपद के जिलाधिकारी को ज्ञापन देना भी शुरू कर चुका है।

चूंकि जनता को विश्वास है कि एक समान जनसँख्या नियंत्रण कानून बनने से भविष्य की पीढ़ियों को संतुलित साधन संसाधन मिल सकेंगे और भविष्य सुखद शानदार होगा। उच्च जीवन स्तर के लिए जनसँख्या नियंत्रण सबसे आवश्यक कदम है और धर्म मजहब की सोच से ऊपर उठकर सभी को भारत के लिए व जीवन के लिए इस कानून का खुलकर समर्थन करना चाहिए।

एक विश्लेषण के मुताबिक वर्ष 2023 तक चीन से अधिक भारत की जनसंख्या हो जाएगी , बढ़ती जनसंख्या अपराध , बेरोजगारी और बच्चों मे कुपोषण की समस्या को लेकर विकराल समस्या बनकर उभरती है। इसलिए किसी भी धर्म और जाति से हों जनसँख्या नियंत्रण मे सबकी भलाई है।

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