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By – Saurabh Dwivedi

शिव देवी का यौन शोषण और हत्या को चित्रकूट का समाज शायद भूल गया। इतिहास में बाल – शोषण की आवाज दमतिकारी होती रही। स्मरण रहे कि कुछ दस वर्ष पहले पंकज नाम के युवा का अपहरण हुआ फिर चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी गई थी। किन्तु अपराधी अब तक चिन्हित नहीं हो सके और फरार हैं। श्रेयांश – प्रियांश का भी अपहरण हुआ और हत्या हुई। कुछ अपराधी न्यायिक हिरासत पर हैं पर पुलिस को हस्ताक्षेप करने वाले बड़े मगरमच्छ पानी में हिलोरे मार रहे हैं।

इधर चुनावी समय भी है तो टिकट के दावेदार अपना – अपना ग्लैमर दिखा रहे हैं। उनका जोर चले तो बांदा – चित्रकूट में सारा बालीवुड उतारकर टिकट हथियाने का पूरा प्रयास कर डालें। अगर इनसे कुछ नहीं हो सकता तो वो यह कि किसान , युवा और बाल आवाज को मन से महसूस करें। ताकि समाज को ऐसी भयावह समस्याओं का सामना ना करना पड़े।

पिता ब्रजेश रावत का कहना है कि समूचे बुंदेलखण्ड की ममता रोई है। यह सच है कि जिस माँ ने बच्चों के अपहरण और हत्या की खबर सुनी , सभी की ममता आंसू बनकर छलक पड़ी। साथ ही कहा कि यूपी पुलिस द्वारा मर्का थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। अतः अपराधियों से पूछताछ यूपी पुलिस को करनी चाहिए और नियमतः अवसर मिलना चाहिए।

गौरतलब है कि अतर्रा में एमपी पुलिस द्वारा यूपी पुलिस को पूछताछ से रोका गया। अगर पुलिस पूछताछ करती तो कौन सा अपराध होता ? किन्तु यही बात इस ओर इशारा करती है कि कहीं कोई बड़ा मगरमच्छ बड़े तालाब या नदी में आराम फरमा रहा है। इस पूरे मामले में पुलिस पर दबाव बनाने वाले लोग सामने आने चाहिए।

चूंकि अपराधी इत्तेफाकन पकड़े गए। अन्यथा योजना इतनी सटीक थी कि शायद ही इनकी धर – पकड़ हो पाती। अभी भी फिल्टरेशन जांच होने की आवश्यकता है। किन्तु जनपद चित्रकूट एवं बुंदेलियों को समझना होगा कि भीड़ का हिस्सा बनकर सड़क जाम कर देने भर से न्याय नहीं मिला करता है। समाज में बाल आवाज को प्रमुखता नहीं मिलती। जबकि भविष्य में ऐसी घटनाएं ना घटित होने के लिए विमर्श आवश्यक है। तत्पश्चात बाल मित्र पुलिस का अस्तित्व में आना आवश्यक है। पुलिस विभाग में घूसखोरी खत्म होना आवश्यक है।

साथ ही जनता को समझना होगा कि ग्लैमर दिखाने वाले लोग आपके जनप्रतिनिधि नहीं हो सकते। जनप्रतिनिधि वही हो सकता है जो जनता की मूलभूत आवश्यकता व समस्याओं को महसूस करे। जो भी नेता बाल आवाज के लिए सक्रिय नहीं है तो समझिए कि वह नेतृत्व का अहिरावण है , जिसने राम – लक्ष्मण का अपहरण कर लिया था। अब वो हनुमान कहाँ से आएं जो पाताल लोक में जाकर बचा लेते हैं। यदि चित्रकूट को वास्तविक रूप से धर्म नगरी कहलाना चाहते हैं तो ऐसे अपराध व अपराधी का खात्मा करना होगा। यहाँ की पुलिस में मानवता दिखनी चाहिए और जनप्रतिनिधि मानवीय – संवेदनशील स्वभाव का हो। जो किसान , युवा और बाल आवाज का साथी हो।

श्रेयांश – प्रियांश की आत्मा प्रत्येक बच्चे की आत्मा है। बच्चों की आत्मा को महसूस करना होगा व न्याय मिलने तक गूंज गूंजती रहनी चाहिए। जिससे भविष्य में ऐसे अपराध घटित ना हो , इसके लिए समाज की वैचारिक सक्रियता आवश्यक है।

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