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By :- Saurabh Dwivedi

अखबार का अंतिम पृष्ठ था। लिखा था दुनिया मुट्ठी में और नीचे मुख्य वाक्य लिखा था कि ” अब दोबारा प्यार में नहीं पडूंगा ! अभिनेता का नाम विनी जोंस लिखा था। यह मुख्य वाक्य बड़े अक्षरों में आकर्षक लगा। मन में अनुगूँज हुई कि जरा पढ़ा जाए मामला क्या है ? कौन है जो दोबारा प्यार में ना पड़ने जैसा वाक्य सार्वजनिक रूप से कह रहा है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण लगा कि अभिनेता का चित्र लगभग बुढ़ापे को दर्शा रहा था।

मेरी नजरें मन की अभिव्यक्ति के साथ छोटे अक्षरों को स्पर्श करती हुई शनैः शनैः अखबारी पृष्ठ पर दौड़ने लगीं। कथानक से पता लगा कि विनी जोंस की पत्नी तान्या की मौत कैंसर की वजह से हो गई। उन्होंने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि वह अब दोबारा किसी और के साथ शादी करते हुए स्वयं को नहीं देख सकते।

ऐसी बातें पत्नी की मृत्यु के बाद अमूमन तमाम पुरूष कहते नजर आते हैं कि दोबारा शादी नहीं करेंगे परंतु बहुत से लोग कुछ समय पश्चात शादी कर भी लेते हैं। किन्तु इसके बाद का वाक्य बड़ा प्रभावशाली था। उन्होंने कहा कि वह मेरे जीवन का प्रकाश थी , यह वाक्य प्रेम की गहराई और स्वीकार्यता को महसूस कराता है।

ये कहना कि वह मेरे जीवन का प्रकाश थी। अपने आप में बड़ी उज्ज्वल परिघटना है। ऐसा हम तब कह पाते हैं जब सचमुच सीने के अंदर प्रकाश महसूस करें। सीना अर्थात वहाँ जहाँ सबकुछ कल्पनामय है। बिना किसी टेक्नोलॉजी के जहाँ हम साफ साफ निहार नहीं सकते। विज्ञान बताता है कि सीने के अंदर वही माँस , माँसपेशियां और माँस का लोथड़ा है। यहाँ तक की हृदय तक को माँस का लोथड़ा कहकर पंप करने वाला अंग और रक्त स्रावित कर धड़कनों के माध्यम से जिंदगी प्रदान करता है , जैसा कहा जाता है। विज्ञान तथ्य है , भाव शून्य है परंतु इंसान भावुक होता है।

मनोभाव बहुत कुछ बतला जाते हैं। मन की सूक्ष्म भावना सीने के अंदर प्रकाश और अंधकार महसूस करा देती है। इस परिघटना में टेक्नोलॉजी की जरूरत नहीं बल्कि मन और आत्मा से महसूस करने की क्षमता बड़ा कारण होती है। जब हम महसूस करते हैं तो सीने के अंदर मिठास का अहसास होता है। धड़कनों की तीव्रगति अपनत्व की गहराई और तीव्र इच्छाशक्ति की ओर इंगित करती है। यही वो जगह है , जहाँ से कोई अजनबी अपना सा महसूस हो जाता है। यहीं से अपनेपन की शुरूआत होती है। एक ऐसी अनुमति मिल जाती है कि हाँ यह तुम्हारा अपना ही है।

किसी खगोलीय दृश्य की तरह सीने के अंदर सबकुछ घटित होता है। यहीं से हमें संदेश प्राप्त होते हैं। मन और मस्तिष्क में संदेशों की तरंगें विचरण करने लगती हैं। इन तरंग संदेश के माध्यम से हम सबकुछ व्यक्त कर पाते हैं और कोई जिंदगी में सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है।

विनी जोंस ने जो कुछ भी कहा उससे प्रेम के चरमोत्कर्ष का अहसास होता है। प्रेम की ऐसी घटना ही प्रेम की पहली और अंतिम घटना बन जाती है। यह सत्य है कि उन्होंने ये बात अपनी पत्नी के संदर्भ मे कही है। किन्तु यदि उनकी पत्नी की जगह मात्र प्रेयसी होती और वो कहते कि ” वह मेरे जिंदगी का प्रकाश थी ” तो भी प्रेम की यह सच्चाई संसार के समक्ष आ जाती।

यहाँ पात्र पत्नी है और कथन देने वाला पति है। यह संसार के समक्ष है परंतु यह अवश्य सत्य है कि वो मन से प्रेमी और प्रेयसी के रूप में रहे होगें। उनके मन में ऐसा गहरा प्रेम रहा कि पत्नी के गुजर जाने के बाद वह प्रकाश महसूस हो रहा है।

चूंकि उन्होंने यह भी कहा कि मैं इतना जानता हूँ कि वह मुझे किसी और के साथ की दुआ भी नहीं देती। इससे स्पष्ट महसूस होता है कि वे मात्र पति-पत्नी नहीं रहे होगें। बेशक यह अद्भुत आत्मीय प्रेम है। चूंकि एक गहरे प्रेम मे ऐसा हो सकता है कि किसी को महसूस हो कि वह किसी और के साथ होने की दुआ नहीं देती अर्थात अनुमति नहीं देती।

अनुपस्थित में भी ऐसा महसूस होना कि नहीं उसके सिवाय कहीं और सुख कहाँ ? रंच मात्र के लिए ऐसा प्रयास हो कि कहीं और भावनात्मक लगाव रख लिया जाए परंतु मन से आवाज आए कि नहीं ! स्वयं को महसूस होने लगे कि उसके जैसा सुख कहाँ ? वह अहसास सिवाय उसके साकार कहाँ ? अनुमति ही नहीं मिलेगी। ऐसी अवस्था में पहला और अंतिम प्रेम घटित हुआ करता है , जहाँ मन स्वयं ही किसी और के साथ की अनुमति नहीं प्रदान करता।

उन्होंने कहा कि दोस्त या और कुछ हो सकते हैं , अगर ऐसा कुछ होता है तो मुझे हैरानी होगी। मुझे लगता है कि मैं जब तक इस दुनिया मे हूँ , मुझे उसके साथ रहने का रास्ता मिल गया है। चूंकि भौतिक संसार है और शरीर है तो यह संभावना भी नहीं कि जीवित रहते किसी से लगाव ना हो , ऐसा हो सकता है। कोई किसी के साथ बहुत कुछ साझा कर सकता है। कुछ पल ठहर सकता है परंतु यह सच है कि जिंदगी का एक वास्तविक प्रेम जो अंदर के प्रकाश का दर्जा प्राप्त कर चुका होता है , उससे ही होठों में वास्तविक मुस्कान बिखरती हो। वह स्वयं अपनी उपस्थित दर्ज कराकर इंसान को सिमटने को विवश कर सकता है।

वह कथन बड़ा प्यारा है कि मुझे उसके साथ जीने का रास्ता मिल गया है। चूंकि अलगाव किसी – ना – किसी वजह से होना भी तय है। यहाँ अलगाव का कारण मृत्यु है परंतु तमाम जिंदगियों में अलगाव के अन्य कारण होते हैं , जो जीते जी विवश कर जाते हैं। अथवा प्रेम कहीं और किसी ऐसे पात्र से हो जाए कि किसी सूरत में साथ निभाया नहीं जा सकता। जबकि संसार के समक्ष भी तमाम प्रेम कहानियां जन्म नहीं ले पातीं। वो कहीं किसी – किसी में अंदर पनपती हैं और वहीं रच – बस जाती हैं , खुद से खुद के लिए जीवित रहती हैं परंतु संसार के समानार्थी दफन हो जाती हैं।

वैसे भी भारत की ऐतिहासिक आध्यात्मिक प्रेमिल प्रकृति बेशक राधा – कृष्ण की गाथा गाती हो। लोगों के हृदय में आस्था और श्रद्धा से गूंजती हो परंतु इंसानी स्त्री – पुरूष के प्रेम के लिए सहज स्वीकार्य प्रकृति नहीं है। बेशक यहाँ भी प्रेम कहानियां जन्मती हैं , साकार होती हैं और दफन होती हैं। एक अमृता प्रीतम के प्रेम की चर्चा भी खूब होती है। ऐसी ही कुछ प्रेम कहानियां आकार लेती हैं। यह प्रत्येक जिंदगी के सुख की बात है। यह व्यक्तिगत अनुभव और विश्वास की बात है। जहाँ प्रेम साकार होता है , आकार लेता है और दफन होता है !

इस बार गहरे प्रेम की चर्चा विदेशी संस्कृति से अर्थात पश्चिम की बहती प्रमुदित भाव की बयार से पूरब को संदेश लेकर आई है। विनी जोंस के एक एक शब्द से अनुपस्थिति में भी जो उपस्थित हो वो प्रेम है कि परिभाषा साकार हुई है। सच है कि प्रेम हमेशा उपस्थित रहता है और प्रेम के प्रति ईमान को जन्म दिए रहता है। प्रेम स्वयं एक विश्वास है और प्रकाश है। सच है कि विनी जोंस के अंदर तान्या हमेशा मौजूद रहेंगीं जो हमेशा मौजूद हो वही प्रेम है। यही प्रेम की वास्तविक अवस्था है।

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