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@Saurabh Dwivedi

कहते हैं मुस्कुराना सेहत के लिए अच्छी विधा है। जिंदगी मे खुश रहने के लिए हम बहुत कुछ करते हैं। इंसानी जिंदगी की खुशी के लिए कानून बनाया गया। अंग्रेजो के समय से पुलिस का अस्तित्व है। आजादी के बाद भी पुलिस रही , अब गुड पुलसिंग – बैड पुलिसिंग की बात होने लगी है। 2021 की पहली ऐसी तस्वीर मिली जिसमें बचपन को संवारती हुई पुलिस नजर आई पर यह घटनाक्रम बड़ा दिलचस्प रहा।

हाल ही में थानाध्यक्ष पहाड़ी के रूप अवधेश मिश्रा का आगम पालेश्वर नाथ की धरती मे हुआ। थाना के ठीक पीछे पालेश्वर नाथ का मंदिर है , एक धार्मिक स्थल पहाड़ पर स्थित है। 17 जनवरी की भोर मे थानाध्यक्ष अवधेश मिश्र नजारे लेने थाना परिसर से बाहर निकले थे।

शीतल बयार बह रही थी। कड़ाके की ठंड से बच्चे हों या बुजुर्ग और युवा सभी को कंपकंपी महसूस हो रही थी। उनके सामने से दो बाल – सखा एक साथ गुजर रहे थे , इनके तन पर ऐसे कपड़े नहीं थे जो ठंड से मुकाबला कर सकते।

संभवतः एसआई तपेश मिश्रा व थानाध्यक्ष के संवेदनशील मन ने गरीब – बचपन के दर्द को महसूस कर लिया था। उन्होंने संगी साथियों से आपसी संवाद किया और बच्चों को नजदीक बुलाने लगे। इतने मे बच्चे सहमे – सहमे से इनकी ओर आते दिखे।

जैसे ही थानाध्यक्ष अवधेश मिश्रा ने प्रेम की बोली बच्चों से बोली। तो बच्चों को भी अच्छा महसूस होगा तभी बच्चे बिना भय के बात करते नजर आए। पुलिस और बच्चों का संवाद हुआ। इतने मे थानाध्यक्ष सामने की कपड़े की दुकान पर बच्चों को ले जाते दिखे।

गांव पर चर्चा

अब जो नजारा दिखा वह गुड पुलिसिंग के साथ इंसानियत की तस्वीर लगी। कहते हैं कि प्रत्येक तस्वीर समाज के हकीकत की हस्ताक्षर होती है। उन्होंने कपड़े की दुकान मे बच्चों के लिए जैकेट की मांग कर दी , अब बच्चों के नाप की जैकेट खोजने की कवायद शुरू हुई।

इस दौरान थानाध्यक्ष ने हमसे बातचीत मे कहा कि नौकरी भी एक सेवा है और मैं जिस सेवा मे हूँ वो समाज को सुरक्षा प्रदान व न्याय दिलाने के लिए है। किन्तु एक इंसान होने के रिश्ते से इंसानियत का धर्म निभाना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य है , तभी मनुष्यता झलकती है। उन्होंने कहा कि जब गरीब बच्चों को कंपते हुए देखा तो हृदय पसीज गया। और नियम है कि कमाई का कुछ हिस्सा समाजसेवा मे पुण्य के कार्यों मे लगाना चाहिए। गरीब – बचपन की सेवा से बढ़कर और क्या पुण्य हो सकता है ?

जैकेट पसंद करते बच्चे

यह सच है कि सेवा के कार्य से हृदय की मुस्कान चेहरे पर उभर आती है। जैसे कि उनके कथनानुसार इस तस्वीर मे उनके चेहरे पर मुस्कान साफ झलक रही है। यह खूबसूरत तथ्य है कि उन्होंने पहली पत्रकार मुलाकात के दौरान भी सेवा और शिक्षा पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि पहाड़ी क्षेत्र मे शिक्षा का अभाव नजर आया व बोली – भाषा का भी अभाव है। जिस पर काम करने की आवश्यकता है। सेवा की इस तस्वीर से उनके आंतरिक मन और जुबान मे समानता नजर आई।

यह संपूर्ण नजारा कस्बा पहाड़ी की जनता ने अपनी नजरों से देखा। उन बच्चों को भी जैकेट मिल जाने से ठंड से राहत मिली और उससे ज्यादा उनके मन को खुशी मिली। यह सच है कि इस प्रकार की समाजसेवा से समाज मे समानता व समरसता का जन्म होता है। थानाध्यक्ष पहाड़ी की यह समाजसेवा देखकर ऐसी ही गुड पुलिसिंग एंड ह्यूमन बीइंग की कामना सभी करते हैं।


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( Saurabh Chandra Dwivedi
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Karwi Chitrakoot )

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