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@Saurabh Dwivedi

बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद्र मिश्रा ने नाथसंप्रदाय और ब्राह्मण जाति को लेकर अनोखी बात कही है। ध्यान आकृष्ट करने योग्य है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसी नाथ संप्रदाय के महंत हैं। जब से योगी सीएम बने हैं उन पर ब्राह्मण जाति का विरोधी होने का आरोप लगता रहा है।

श्री मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश मे करीब 500 ब्राह्मणों की हत्या हो चुकी है। उन्होंने कहा कि नाथसंप्रदाय के लोग ब्राह्मण विरोधी रहे हैं। वह ब्राह्मणों से अंदुरूनी नफरत रखते हैं। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ पर यह बड़ा हमला कर दिया है।

हालांकि यह भी सच है कि 2007 मे ब्राह्मणों ने जिस तरह से बहुजन समाज पार्टी का साथ देकर बहन जी को मुख्यमंत्री बनाया फिर वैसा सम्मान ब्राह्मणों को नही मिला जिसकी चाहत ब्राह्मण समाज के नेताओं को थी। इसलिए 2012 मे बहुजन समाज पार्टी का किला ढह गया और सपा सत्ता पर काबिज हो गई।

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सपा शासनकाल के गुंडाराज और भ्रष्टाचार को आधार बनाकर 2017 मे भाजपा ने एक माहौल बनाया और जनता ने उत्तर प्रदेश की सत्ता भाजपा को सौंप दी। किसी को भी यह अंदेशा नही था कि मुख्यमंत्री कौन होगा ? जनता ने कमल के फूल को सत्ता सौंपी थी।

पिछड़ों के नेता के रूप मे उभर रहे केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री पद नसीब नही हुआ तो वहीं गोरखपुर के मठ से महंत योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी होना सुनिश्चित हुई। उन्होंने सुशासन हेतु मुख्यमंत्री पद की शपथ ली किन्तु पहचान कठोर शासन के रूप मे शुरू हुई।

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धीरे – धीरे योगी आदित्यनाथ पर ठाकुरवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगने लगा और ब्राह्मणों को दरकिनार करने का तथ्य उभरने लगा। इसी को सपा और बसपा ने हथियार बना रखा है। यहाँ तक कि भाजपा के अंदर भी जो उनके विरोधी हैं आंतरिक रूप से इस बात की पुष्टि करते हैं।

कुछ ए ग्रेड के अफसर भी जातिवाद का आरोप लगाते रहते हैं। उन पर ठाकुरवाद का आरोप चस्पा हो गया है। बसपा और सपा इसी आधार पर ब्राह्मण वोट बैंक को अपने पक्ष मे कर सत्ता मे वापसी की सोच रखते हैं। सतीश चंद्र मिश्रा का यह सीधा हमला ना सिर्फ योगी आदित्यनाथ पर है अपितु नाथसंप्रदाय पर बड़ा हमला है , संभवतः जिसका तथ्य नहीं होगा।

असलियत यह है कि उत्तर प्रदेश मे जातिवाद का कार्ड हमेशा चला है। जाति के आधार पर सत्ता की सियासत तय होती रही है। 2007 के बाद 2017 मे फिर एक बार ब्राह्मण चर्चित हुआ है। अब देखना यह होगा कि भाजपा सत्ता को बरकरार रखने के लिए कौन सी रणनीति बनाती है। जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई पूरे साढ़े चार साल शांत रहने के बाद पुनः सक्रिय नजर आ रहे हैं तो यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा पता चलता है।

देखने योग्य होगा कि भाजपा बहुजन समाज पार्टी के ब्राह्मण कार्ड को कैसा जवाब देती है और सपा को सत्ता मे आने से कैसे रोके रहती है !

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