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सुधाकर शुक्ल ने अपने कार्य से न केवल अपने पिता के प्रति सम्मान प्रकट किया बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया।

कानपुर : कर्म के बिना धर्म को परिभाषित नहीं किया जा सकता , इसी सोच को चरितार्थ करते हुए सुधाकर शुक्ल ने अपने पिता ओमप्रकाश शुक्ल की पुण्यतिथि पर एक अनूठी और प्रेरणादायक पहल की। अपने पिता की कर्मभूमि, प्राथमिक विद्यालय महेंद्र नगर और संरक्षित प्राथमिक विद्यालय पनका बहादुर नगर, कानपुर नगर में सुधाकर शुक्ल ने छात्र-छात्राओं को उपहार भेंट कर उनकी शिक्षा में सहयोग का संदेश दिया।

यह कार्यक्रम न केवल छात्रों के लिए सुखद और हर्षित क्षण लेकर आया, बल्कि ओमप्रकाश शुक्ल की स्मृति को भी जीवंत कर गया। इस अवसर पर सुधाकर शुक्ल ने कहा, “मेरे पिता ने अपना जीवन शिक्षा और समाज की सेवा को समर्पित किया। उनकी पुण्यतिथि पर यह प्रयास उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाने का एक छोटा सा कदम है।”

कार्यक्रम में बच्चों को उपहार सामग्री दी गई , जो उनके पढ़ाई में मददगार साबित होंगी। उपस्थित शिक्षकों और छात्रों ने इस पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की और इसे प्रेरणादायक बताया।

यह पहल यह संदेश देती है कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का सबसे सुंदर तरीका शिक्षा को बढ़ावा देना है। सुधाकर शुक्ल ने अपने कार्य से न केवल अपने पिता के प्रति सम्मान प्रकट किया बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया।

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