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गांव पर चर्चा से @Saurabh Dwivedi

गांव ; वृक्षारोपण के माध्यम से संसार को पर्यावरण संरक्षण का बड़ा संदेश दे सकते हैं और भारत के गांव मे वास्तव मे दुनिया के लिए आदर्श बन सकते हैं। इस विचार के साथ दरसेडा के युवा विवेक तिवारी ने दो वृक्ष लगाए तत्पश्चात गांव पर चर्चा की टीम दरसेडा गांव पहुंची। जहाँ से दरसेडा दर्शन प्राप्त हुआ।

ग्राम्य जीवन – ग्राम्य दर्शन सबसे महत्वपूर्ण विषय है। आध्यात्मिक और धार्मिक रूप से भी जिंदगी का महत्व है। गांव की जिंदगी कैसी है ? शहर कि तुलना मे कितनी सुखद है ? या फिर गांव की तुलना मे ही जिंदगी बर्बाद हुई है !

लोकल फाॅर वोकल

गांव मे स्वच्छता अभियान अखबार के विज्ञापन जैसा ही है अथवा विज्ञापन की तुलना मे स्वच्छता अभियान रद्दी की टोकरी मे पड़ा हुआ दम तोड़ रहा है। बड़ी बात है कि जन क्या कर रहा है ? जन के पास बल है या बल मर चुका है और सिर्फ जन बचा हुआ है। जिंदा जन अपने ही जीवन के मुद्दों पर आवाज दे पाता है या नहीं ! यह विचारणीय है।

वृक्षारोपण दरसेडा

गांव मे महिला मजदूर भी हैं जो कहते हुए पाई जाती हैं कि उनकी मजदूरी नहीं मिली। एक अजनबी ठेकेदार महिला मजदूर की मजदूरी डकार गया , पता नहीं इसकी कोई पड़ताल भी हो सकती है या नहीं ! इस एक महिला की मजदूरी दिलाने के लिए कौन सी सरकारी – गैरसरकारी मशीनरी काम करने को स्टार्ट होगी ! जबकि महिला ने कहा वो जानती ही नहीं कौन काम कराने वाला था ?

कुएं को बना दिया डस्टबीन

कुआं जो जीवन देता है वो अब स्वयं मर रहा है या लोगों ने मार दिया। अथवा सरकारी मशीनरी ने मार दिया। यह भी सच है कि कुआं किसी की रोजी-रोटी भी है। स्पष्ट महसूस होता है कि कुआं के नाम का सरकारी धन निकाल लिया गया होगा लेकिन वह पेट मे समा गया होगा , आखिर पापी पेट का सवाल जो है ! फिर भी सरकारी मशीनरी हो या गांव के लोग कुओं को जिंदा रखना चाहिए। ये कुएं संस्कृति की पहचान हैं जो भविष्य मे पर्यटन के बड़े कारण बन सकते हैं , विदेशी संस्कृति को आकर्षित कर सकते हैं पर दुख है कि दरसेडा गांव में कुओं पर कचरा भर दिया गया। कुएं को डस्टबिन बना दिया गया है।

गांव स्वच्छ नहीं है। स्वच्छ नहीं रहेगा तो यकीन मानिए कि स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहेगा। इसलिए गांव के मुद्दों पर जनता से संवाद होना आवश्यक है। गांव से ही राजनीतिक – सामाजिक रूप से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। तभी देश मे भी राजनीतिक – सामाजिक वातावरण अच्छा हो सकता है।

गांव से राजनीति की अच्छी फसल तैयार होनी चाहिए। युवाओं को एक अच्छे गांव के निर्माण के लिए काम करना होगा। गांव मे एक सुखद जिंदगी की कल्पना साकार करनी चाहिए , इस ओर सरकारी मशीनरी को संवेदनशीलता से सोचना चाहिए कि वह कितना अच्छा काम कर सकते हैं।

युवाओं ने काम करना शुरू किया है पर सरकारी मशीनरी से इतना ही कहना है कि ” अब मत चूको चौहान ” अनियमितता व भ्रष्टाचार का वध कर ही दो ! गांव पर चर्चा से गांव के मुद्दों पर लगातार आवाज बुलंद करने का संकल्प युवाओं ने लिया है , साथ ही वृक्षारोपण जैसे सामाजिक कार्य शुरू रहेंगे।

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Karwi Chitrakoot }

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