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@Saurabh Dwivedi

गांव पर चर्चा ( नोनार जनपद चित्रकूट )

रामजन्मभूमि के आंदोलन से जन्मे भाजपा कार्यकर्ता एवं जिलाध्यक्ष चंद्रप्रकाश खरे से गांव पर चर्चा व कोरोना वायरस को लेकर आम जनता के संबंध में चर्चा हुई। उनसे हुई मुलाकात में गांव के मुद्दे व वायरस से बचाव के संबंध में प्रत्येक पहलू में पहल करने की आवश्यकताओं पर विमर्श हुआ।

भाजपा जिलाध्यक्ष वास्तव मे संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी नजर आए , जब उन्होंने संकटकाल में सेवाकाल के महत्व को साफ शब्दों में महत्वपूर्ण माना। उन्होंने कहा कि राजनीति में नेता की जिम्मेदारी जनता के प्रति सेनापति की तरह होती है। यदि सेनापति मजबूती से डटा रहेगा , जनता के बीच रहेगा तो जनता का आत्मबल उच्चकोटि का रहेगा। जिंदगी जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण धन ‘ आत्मबल ‘ ही है। इसलिए उन्होंने प्रत्येक सेवा करने वाले जनप्रतिनिधि व नेता और अपने कार्यकर्ताओं की खुलेमन से सराहना की !

उन्होंने यह भी कहा कि इस वक्त जागरूकता और सावधानी की सबसे बड़ी जरूरत है। जनता को जागरूक करने का काम लेखन और संवाद के जरिए प्रत्येक स्तर पर होना चाहिए। इसलिए उन्होंने गांव पर चर्चा जैसे कार्यक्रम की मुक्त कंठ से प्रशंसा की , उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम से जन जागरूकता बढेगी और समस्याओं का आभास होने से हल करने के प्रयास मे तेजी आएगी।

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वह भारतीय संस्कृति पर चर्चा करते हुए कहते हैं कि गांव की संस्कृति कोरोना वायरस के खिलाफ पहले से तैयार है। भारत के गांव में रहन – सहन की जैसी व्यवस्था है , वैसी व्यवस्था से ही कोरोना वायरस से जंग जीतने वाली व्यवस्था को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है।

इसलिए उन्होंने कहा कि जो लोग गांव तक पहुंच पा रहे हैं। गांव के व्यक्तियों से मिल पा रहे हैं। सभी उनसे मास्क का प्रयोग करने , सोशल डिस्टेंस / फिजिकल डिस्टेंस का पालन करने की चर्चा अवश्य करें। इस वायरस से बचाव के प्रत्येक नियम पर जंग जीतने तक सभी को आभास कराते रहना होगा।

श्री खरे ने कहा कि भाजपा सिर्फ राजनीति नहीं करती अपितु समाजसेवा भी करती है। वह बरसात के मौसम में पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण अभियान भी चलाती है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि गांव पर चर्चा में पर्यावरण संरक्षण मुख्य विषय पर रखा गया है। हमें प्रकृति के साथ चलना होगा और प्रकृति के संरक्षण से ही जीवन संरक्षण संभव है।

गांव के राजनीतिक – सामाजिक माहौल पर भी चर्चा हुई। चूंकि चर्चा का एक प्रमुख पहलू युवाओं की सोच पर भी आधारित है। अतः यह ध्यान देना भी आवश्यक है कि गांव के युवाओं की सोच कैसी है ? उनका मानसिक स्तर क्या है ? गांव के बुजुर्गों की मानसिकता कैसी है ? पंचायत चुनाव का मानसिक संक्रमण पर कितना असर पड़ा है , चूंकि इस विषय पर किसी का ध्यान आकृष्ट नहीं हो रहा कि पंचायत चुनाव में ताल ठोकने वालों ने नकारात्मक , ईर्ष्या और द्वेष वाली राजनीति से गांव के माहौल को कितना खराब किया है ? अतः यह शोध का विषय है और प्रत्येक गांव के माहौल को शब्दों से दर्शाना आवश्यक है।

गांव के युवाओं के सफल भविष्य के लिए चर्चा आवश्यक है। उनकी सोच को परिमार्जित ( बदलना ) करना आवश्यक है। गांव का युवा अच्छी किताबें पढ़े इसके लिए गांव में पुस्तकालय की सोच को भी साकार करना होगा , जिससे गांव का माहौल बदलेगा और एक सकारात्मक सुंदर बदलाव होगा , गांव पर चर्चा की आगामी योजना ‘ गांव का पुस्तकालय ‘ है। कोरोना वायरस से जिंदगियों को बचाया जाए और इसके साथ गांव से व्यापक बदलाव की यात्रा की जाए।

इसी सोच के साथ गांव पर चर्चा में प्रथम गांव नोनार में चर्चा शुरू की गई और यह गांव चर्चा का प्रयोगशाला बनेगा , जहाँ अच्छा संवाद प्रमुख लोगों के साथ किया जाएगा। तत्पश्चात यहाँ की संभावनाओं पर विचार कर काम किया जा सकेगा। इस संदर्भ में भाजपा जिलाध्यक्ष ने गांव पर चर्चा जैसे कार्यक्रम की जरूरत पर बल प्रदान किया। जिसके सुचारू रूप से चलते रहने का मानसिक सहयोग एवं शुभकामनायें भी दीं।

ग्राम नोनार चित्रकूट जनपद का प्रथम गांव है , जहाँ चर्चा प्रथम स्तर पर शुरू हुई है और यह गांव संवाद व विकास के लिए चर्चा का प्रयोगशाला गांव रहेगा। जहाँ चर्चा के बाद निरंतर काम भी सामाजिक सहयोग से होगा। गांव के मुद्दों के लिए जनपद के प्रमुख लोग स्वयं साथ आ रहे हैं , यह प्रथम स्तर की चर्चा की सफलता है।
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