SHARE
यह बयान उनके राजनीतिक दर्शन—सिर्फ सरकार बदलने से नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में सुधार लाने की जरूरत—को उजागर करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी पार्टी इस विचारधारा को कितनी मजबूती से आगे बढ़ा पाती है और क्या दिल्ली की जनता सच में एक तीसरे विकल्प को अपनाने के लिए तैयार होती है या नहीं।

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे सामने आ चुके हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रचंड बहुमत हासिल कर 27 वर्षों बाद सत्ता में वापसी की है। आम आदमी पार्टी (आप) को भारी नुकसान झेलना पड़ा, जबकि कांग्रेस एक बार फिर शून्य पर सिमट गई। इन परिणामों के बाद भारतीय लिबरल पार्टी के संस्थापक डॉ. मुनीश रायजादा ने तीखी प्रतिक्रिया दी और भाजपा की जीत को “विपदा” करार दिया। उनका बयान—”आपदा गई, विपदा आई”—राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।

“आपदा” और “विपदा” का प्रतीकात्मक अर्थ

डॉ. मुनीश रायजादा ने अपने बयान में आम आदमी पार्टी को “आपदा” और भाजपा को “विपदा” बताया है। इसका सीधा मतलब यह है कि उन्होंने दोनों ही दलों को दिल्ली की भलाई के लिए नुकसानदायक माना है। पिछले चुनावों में “आप” की सरकार को भ्रष्टाचार, कथित घोटालों, और खराब प्रशासन के आरोपों का सामना करना पड़ा था। वहीं, भाजपा की जीत को वे एक नई “विपदा” के रूप में देख रहे हैं, जिससे वह संकेत देते हैं कि यह सत्ता परिवर्तन तो है, लेकिन इसमें व्यवस्था परिवर्तन की कोई गारंटी नहीं है।

व्यवस्था परिवर्तन बनाम सत्ता परिवर्तन

डॉ. रायजादा की राजनीति सत्ता परिवर्तन से अधिक व्यवस्था परिवर्तन की वकालत करती है। उनका मानना है कि यदि दिल्ली की राजनीतिक व्यवस्था में पारदर्शिता, जवाबदेही, और सशक्त भ्रष्टाचार विरोधी कानून लागू नहीं होते, तो कोई भी सरकार आए, आम जनता को राहत नहीं मिलेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दिल्ली में राजनीति “जैसे चल रही थी, वैसे ही चलती रहेगी” जब तक कोई ठोस वैधानिक सुधार नहीं किए जाते।

भाजपा पर तीखा हमला

भाजपा की जीत को “विपदा” कहकर उन्होंने सीधे तौर पर सत्तारूढ़ पार्टी पर हमला किया है। भाजपा ने इस चुनाव में बदलाव और स्थिर सरकार देने का वादा किया था, लेकिन रायजादा का बयान इस पर सवाल खड़ा करता है। उनका संकेत है कि भाजपा की सरकार बनने से भी दिल्ली की जनता को कोई विशेष लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था में मूलभूत बदलाव नहीं हो रहे हैं।

क्या भारतीय लिबरल पार्टी विकल्प बन सकती है ?

डॉ. रायजादा और उनकी पार्टी भारतीय लिबरल पार्टी खुद को एक नए विचारधारा वाले राजनीतिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर रही है। हालांकि, फिलहाल उनकी पार्टी की राजनीतिक पकड़ और जनसमर्थन उतना मजबूत नहीं दिखता। लेकिन भ्रष्टाचार विरोधी और पारदर्शी प्रशासन की उनकी नीति आने वाले वर्षों में उन्हें एक गंभीर दावेदार बना सकती है, खासकर यदि भाजपा की सरकार भी जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरती।

डॉ. मुनीश रायजादा का बयान दिल्ली की राजनीति में एक नई बहस छेड़ रहा है। “आपदा गई, विपदा आई” के जरिए उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी नजर में भाजपा और आम आदमी पार्टी, दोनों ही जनहित में सुधार लाने में असफल रही हैं। यह बयान उनके राजनीतिक दर्शन—सिर्फ सरकार बदलने से नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में सुधार लाने की जरूरत—को उजागर करता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी पार्टी इस विचारधारा को कितनी मजबूती से आगे बढ़ा पाती है और क्या दिल्ली की जनता सच में एक तीसरे विकल्प को अपनाने के लिए तैयार होती है या नहीं।

image_printPrint
5.00 avg. rating (98% score) - 1 vote