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लेखक पेशे से वकील हैं

मैं एक सुनने वाला हूं ,- मतलब लिसनर हूं। तकलीफ की यह प्रोफेशनली नहीं करता हृदय की करूणा मे करता हूं। दोस्तों आज के भौतिकवादी परिवेश में पैसा कमाना , भौतिक सुख सुविधाओं में खुद को लिप्त कर देना। हम इंसानों में एक ध्येय सा बन गया हैं।

हम इंसान खुद को एक मशीन के रूप में प्रयोग करते चले जा रहे हैं। वक्त कहां हैं? मस्तिष्क में सुविचारों को डालने के लिए। जबकि अध्यात्म को जीवन में शामिल करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती हैं। अध्यात्म के रस में जीवन का अमृत बरस रहा हैं।

कभी फुर्सत में विचार करिए किसलिए जीवन मिला हैं ? किसके लिए भागम भाग कर रहे हैं? किस लिए कर रहे हैं ? यह यक्ष प्रश्न कभी अपनी आत्मा से पूछिए। वास्तव में आत्मा जवाब दिया करती हैं। आवश्यकता हैं ध्यान से अपनी आत्मा की आवाज सुनने की ,देखा जाएं तो आज हर इंसान आधुनिकता की इस दौड़ में कभी न कभी खुद को तन्हा/अकेलेपन में अवश्य पाता हैं।

ऐसे में आवश्यकता हैं। हम सब अपने आस पास भी देख ले कि कोई बुजुर्ग , युवा , कोई साथी , इस समय अवसाद का शिकार तो नहीं हो गया। ऐसा हम सब अखबारों में टीवी चैनल में पढ़ते व देखते रहते हैं कि फलां आदमी के बच्चे परदेश /विदेश में थे। धन दौलत कि कोई कमी नहीं थी फिर भी पिता अकेले फ्लैट में भारत के किसी कोने में रहते थे।

बच्चों के समय के अभाव में प्रेम के अभाव में खत्म हो गए। ऐसा क्यों? सोचिएगा अवश्य। क्या धन ही सबकुछ हो गया हैं आज के युग में ,जी नहीं धन दौलत की आवश्यकता है यह स्वीकार करता हूं। लेकिन हम सबके लिए धन उतना ही आवश्यक होना चाहिए जितने में जिंदगी की गाड़ी सड़क पर चल सके। दाल में नमक की मात्रा उतनी हो जिससे बेस्वाद न हो वैसे ही धन की मात्रा भी संतुलित हो जिससे रात में बेफिक्र सो सके। दोस्तों यदि आपकी नजर में कहीं कोई ऐसा  शख्स मिल जाएं जो अवसाद में हों उससे बातें अवश्य करें।

प्यार बांटे , आवश्यक लगें तो जरुरी सलाह दें। वैसे मेरे एक सहपाठी का फोन आया था। निजता हेतु नाम का उल्लेख करना उचित नहीं लगता। इसलिए नाम का उल्लेख नहीं कर रहा। जरूरी सलाह दिया। दोस्त खुश हो गया।कभी वक्त आया तो उल्लेख कर दूंगा। ये उस फोन की ही प्रेरणा थी जिस वजह से इतना कुछ लिख गया।

एक नजर डालते हैं अकेलापन दूर करने के लिए आपको क्या करना चाहिए।

आपको मेडिटेशन करना चाहिए. …
प्रकृति और पेड-पौधों से प्यार करना दिमागी शांति के लिए काफी फायदेमंद है. …
एक्सरसाइज करने से हमारे दिमाग में हैप्पी हॉर्मोन्स का उत्पादन बढ़ता है. …
म्यूजिक सुनना भी एक मददगार टिप है, जो आपके तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है.

डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए आप अपनी विश लिस्ट बना सकते हैं जिसमें हर वह काम जिसमें आपको खुशी मिलती है जरूर करें। जैसे प्रकृति के करीब समय बिताना, अच्छी किताब पढ़ना, खाना बनाना, लिखना, संगीत सुनना, टीवी देखना या कोई मनपसंद शौक पूरा करना।

इसके लिए आप समय निर्धारित करें और कितने भी व्यस्त क्यों न हों इन्हें पूरा करने का प्रयास जरूर करें। इससे आपके मन की उदासी दूर होगी और कुछ नया करने का उत्साह बना रहेगा। आप इसमें कहां तक सफल हुए हैं और कितनी गतिविधियां कर पा रहे हैं, इसका लेखा-जोखा रखें।

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