चित्रकूट : चित्रकूट का वृंदावन कामतानाथ के परिक्रमा मार्ग मे ही मिलता है , कामतानाथ परिक्रमा द्वार के ठीक समीप फोर व्हीलर पार्किंग सड़क के ठीक सामने बांके बिहारी राधा रानी के साथ विराजमान हैं।
इस मंदिर मे परास्नातक तक शिक्षा हासिल कर चुके भारतेन्द दुबे पुजारी हैं। जो मंदिर के बाहर सामान्य नजर आते हैं किन्तु मंदिर के अंदर गर्भ गृह से बोलते समय वाणी बदल जाती है और वाणी का प्रभाव भी चमत्कारी हो जाता है।
ऐसे अनेक किस्से सामने आए हैं जब गर्भ गृह से भारतेन्द दुबे ने कुछ कहा हो और वो हो गया हो तो भक्त यह कहते सुनाई देते हैं कि वास्तव मे बांके बिहारी ही कंठ से कोई बात बोल देते हों और वह कार्य व उद्देश्य संपन्न हो जाता है।
जैसे किसी की बिटिया का विवाह नही हो रहा था तो उसका विवाह हो गया जैसे कोई बहुत गरीब था तो बेटी का विवाह नही कर पा रहा था लेकिन अचानक से इतना धन संपन्न हो गया कि बेटी का विवाह अमीरों की तरह हो गया।
यहाँ अनेक भक्त आंसू बहाते भी नजर आ जाते हैं जिनका प्रेम बांके बिहारी से अत्यंत गहरा है और उनके जीवन मे बांके बिहारी अच्छा परिवर्तन लेकर आए हैं। ऐसे ही लोगों से पुजारी जी कोई बात कह देते हैं और वह हो जाता है तो लोग कहते हैं कि वृंदावन के बाद बांके बिहारी चित्रकूट परिक्रमा पथ मे अपना एक और वृंदावन बसा लिया है।
इस मंदिर मे हर वर्ष अद्भुत कार्यक्रम जन्माष्टमी , होली और एकादशी पर संपन्न होते हैं जहाँ अक्सर लोग छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित करने आते हैं। पिछले दिनों मध्यप्रदेश सीएम मोहन यादव ने यहाँ काफी वक्त बिताया था जिसका कारण इस मंदिर की सकारात्मक एवं दिव्य ऊर्जा को बताया गया। वास्तव मे चित्रकूट का एक ऐसा मंदिर है जिसकी स्वच्छता की सराहना सब लोग करते हैं।
” लेखक / पत्रकार सौरभ द्विवेदी की कलम से “