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चित्रकूट (सेमरिया जगन्नाथवासी) से विशेष रिपोर्ट

चित्रकूट जनपद के सेमरिया जगन्नाथवासी गांव में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है। गांव का सरकारी स्कूल अब कक्षा दसवीं तक मान्यता प्राप्त हो चुका है। यह वही वादा है जो तत्कालीन ग्राम प्रधान दिव्या त्रिपाठी ने गांव की बेटियों से किया था—एक ऐसा वादा जो अब 2025 में साकार रूप ले चुका है।

ग्राम पंचायत, विभागीय अधिकारियों और शिक्षा विभाग के तमाम पत्राचार और बैठकों के बाद इस उपलब्धि को संभव बनाया गया। ग्राम प्रधान रही दिव्या त्रिपाठी का यह प्रयास न केवल प्रशासनिक सक्रियता का प्रमाण है, बल्कि यह नारी नेतृत्व की सशक्त छवि को भी दर्शाता है।

बेटियों के लिए यह एक नया सवेरा
गांव में अब उत्साह और उम्मीदों की नई लहर देखी जा रही है। वर्षों से बेटियों की पढ़ाई आठवीं कक्षा के बाद रुक जाती थी, या फिर उन्हें दूरस्थ विद्यालयों में भेजने की बाध्यता थी। लेकिन अब गांव में ही दसवीं तक की पढ़ाई की सुविधा मिलने से उनके सपनों को नए पंख मिल गए हैं।

दिव्या त्रिपाठी का बयान

इस मौके पर दिव्या त्रिपाठी ने कहा, “गांव का माहौल तब ही बदलेगा जब शिक्षा सबके लिए सुलभ होगी। बेटियों से किया गया यह वादा पूरा हुआ, इसके लिए मैं बहुत संतुष्ट हूं। योगी सरकार और शिक्षा अधिकारियों की आभारी हूं जिन्होंने अंतिम मुहर लगाई और इस प्रयास को पूरा किया।”

पंचायती नेतृत्व की नई दिशा

इस सफलता को ग्रामीण विकास और नारी नेतृत्व के मिलेजुले प्रभाव के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल एक स्कूल की मान्यता की खबर है, बल्कि यह पंचायत स्तर पर शिक्षा के लिए जागरूक नेतृत्व की मिसाल है।

विश्लेषण :
इस तरह की सफलता गांव-गांव में ‘लोक-शक्ति’ और ‘शिक्षा-शक्ति’ के सम्मिलन की आवश्यकता को रेखांकित करती है। ग्राम प्रधानों के प्रयास अगर इसी तरह ठोस योजना और जनभावना से जुड़े रहें, तो न केवल बेटियां, बल्कि पूरा गांव उड़ान भर सकता है।

सेमरिया जगन्नाथवासी की यह कहानी यह बताती है कि वादे सिर्फ भाषणों तक सीमित न हों, तो वे परिवर्तन का कारण बन सकते हैं।

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