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कृष्ण लीला का वर्णन राजस्थान मार्बल मे हो रही भागवत कथा मे हुआ। कथा व्यास श्री श्री 1008 श्री बद्री प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने द्वैत – अद्वैत का दर्शन प्रस्तुत कर भगवान एक है और निराकार है , यह स्रोताओं को स्मरण कराए। वह कथा मे बताते हैं कि सबसे महत्वपूर्ण कृष्ण लीला क्यों है ?

कृष्ण लीला जितनी बार सुनो उतनी बार उतना ही आनंद आता है। कथा व्यास कहते हैं कि भगवान सुख – दुख मे नही होते बल्कि आनंद मे होते हैं। जब – जब आनंद महसूस होने लगे समझ लेना भगवान आ गए। वे उदाहरण देते हुए कहते हैं चिलचिलाती धूप मे चले जाओ मुंह सूख रहा हो और एक ऐसी बयार तन को स्पर्श कर निकल जाए कि आनंद महसूस हो जाए , बस यही आनंद भगवान है।

वह कथा मे कहते हैं भगवान मान्यता का विषय नही है। बहुत से लोग कहते हैं हम भगवान को मानते हैं , भगवान मानने से नहीं है बल्कि भगवान अनुभव का विषय हैं। सोचिए कभी कभी ऐसी होता है कि कोई ऐसा दृश्य दिख जाता है कि लगता है जीवन सफल हो गया , यह आनंद की प्राप्ति का अनुभव ही भगवान है।

मजा नहीं आना चाहिए। बहुत से लोग कहते हैं मजा आ गया। मजा संसार की चीजों मे आता है।जब आनंद आ जाए समझ लीजिए भगवान आ गए। इंद्रियों से परे हैं भगवान।

कृष्ण कृपा से ….

भगवान पुस्तकों मे नही मिल सकते। लाइब्रेरी मे नही मिल सकते। आप भगवान का स्वाद नही बता सकते। उनका रूप , रंग नही बता सकते और स्पर्श से नरम और कठोर नही बता सकते। भगवान निराकार हैं और वह कोई भी रूप धारण कर लेते हैं , जैसे भगवान ने राम अवतार लिया। मत्स्य अवतार लिया , वाराह अवतार लिया इस तरह भगवान समय काल परिस्थित के अनुसार रूप धारण करते रहते हैं। इसलिए राम – रहीम मे अंतर नही है।

जब आप भगवान से जुड़ जाएंगे तब सब बेड़ियां खुल जाएंगी। जैसे वसुदेव के हाथों मे भगवान आए कि बेड़ियां टूट गईं , कारागार का ताला टूट गया और यमुना नदी पार कर गोकुल पहुंच गए फिर जैसे ही कन्या रूपी माया को उठाया और कारागार पहुंचे तो बेड़ियां पड़ गईं। ये भगवान की माया है। अंततः वही कन्या कंस के हाथ से सीधा आकाश मार्ग की ओर गमन की और पर्वत पर विराजमान हो गईं जो विंध्यवासिनी कहलाईं और कलयुग मे जगत के कष्ट काटती हैं।

यह भगवान की लीला है। कृष्ण लीला का महत्व इसलिए सबसे बड़ा है कि वह आनंद देती है और साकार एवं निराकार भगवान का जीवन दर्शन प्रदान करती है। भगवान मे कोई भेद नही है , भेद जगत ने पैदा किया। राम – रहीम म अंतर नाहीं , इस कथा का सार यही है।

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