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@Saurabh Dwivedi

प्रेम
जिसके अंदर
घटित होता है

उससे ही
धारा बहनी
शुरू होती है

मैंने महसूस किया
जब – जब ईमानदार हुआ
प्रेममय भाव में
तब – तब एक धारा बही
आंतरिक घटना के
बिंब से एक रचना
अविरल सरिता की तरह
बहकर प्रेम सागर में जा मिली

प्रेम ज्ञान
तभी होता है
जब वह अंदर घटित होता है !

एक रचना
अंदर प्रस्फुटित होती है
अंदर ही समा जाती है
प्रेम की नदी भी वहीं
प्रेम का सागर भी वहीं
प्रेम का हृदयंगम – संगम भी वहीं

प्रेम मात्र एक आंतरिक घटना है !

तुम्हारा ” सखा ”

फोटो साभार :- Pravesh Soni जी

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