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अमूमन शांत रहने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव ने गुलाम बनाने वाली मानसिकता को इंगित करती हुई एक फेसबुक पोस्ट की जिससे लोगों के मन मे कौतुहल उत्पन्न हो गया।

लोग सोचने लगे कि ये कौन लोग हैं जनपद मे जो गुलाम को सत्ता मे बिठाकर राजनीति करने के शौकीन हैं ? स्वतंत्र देश मे गुलाम बनाने वाले लोग अंग्रेजों से बड़े अंग्रेज हैं और अंग्रेज व्यापार करने के बहाने आए तो भारत मे ही बांटो और राज करो की नीति बनाकर लंबे समय तक शासन किए और भारत के लोग जब तक जागे तब तक बहुत देर हो चुकी थी फिर भी देश एक दिन आजाद हुआ।

ऐसे ही जनपद चित्रकूट मे कुछ तो ऐसे राजनेता होंगे जो राजनीति मे अपने मोहरे बैठाने के आदी हैं शायद इसीलिए जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक जाटव को अंततः ऐसी फेसबुक पोस्ट करनी पड़ी।

जानकारों की माने तो अशोक जाटव सर्व समाज के नेता हैं और जब से वो जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं तो कार्य एवं लोक व्यवहार की बदौलत हर वर्ग मे उनकी लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ा है।

आम चर्चा हमेशा इस बात की रही है कि स्वभाव से राजा आदमी हैं जो सभी को सम्मान देना जानते हैं और संकट के समय जनता और कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहते हैं।

इस तरह कि पोस्ट से लोग कयास लगा रहे हैं कि भाजपा के अंदर सबकुछ ठीक नही है। लेकिन ठीक कब से नही है ये जानना बहुत जरूरी है तो संगठन के निर्देश पर भाजपा जिलाध्यक्ष चित्रकूट रहते हुए अशोक जाटव ने आनंद शुक्ला को चित्रकूट की राजनीति मे प्रवेश कराया और इसलिए लोग अशोक जाटव को आनंद शुक्ला का गुरु कहते हैं तो आनंद शुक्ला को इनका चेला कहा जाता है अर्थात गुरु चेला का रिश्ता था।

आनंद शुक्ला पर चौराहे पर एक संकट आया था तब भी इनको समर्थन मिला था कि अभद्रता आनंद शुक्ला के साथ नही होनी चाहिए किवदंती है कि पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र किसी बात मे आनंद शुक्ला पर चढ़ाई कर दिए थे। तब साथ किसने दिया था यह बात आनंद शुक्ला ईमानदारी से बता सकते हैं।

कहते हैं किस्मत से बढ़कर कुछ नही होता तो मानिकपुर मे उपचुनाव हुआ और आनंद शुक्ला प्रत्याशी बनकर आए तो संगठन की शक्ति ने पूरा साथ दिया लेकिन जब राजनीति मे पैर जमे तो इनके द्वारा शुरु हुआ ” जय आनंद तय आनंद “ और भाजपा इस नारे से गायब थी ? फर्क साफ है कि संगठन के कार्यकर्ताओं को बुरा लगा कि जिस दल से विधायक बने उसे भी धता बताकर राजनीति आनंद से शुरु हो और आनंद पर खत्म हो यह कोशिश संगठन के रीति – नीति के खिलाफ थी।

मामला तब और गडबड़ा गया जब ब्लाक प्रमुख अपना बनाने की कोशिश हुई कि मेरा आदमी ही बने और तो और जिला पंचायत मे भी व्यक्ति विशेष के खिलाफ अंदरुनी कुल्हाड़ी चलाने की कोशिश हुई कि कुल्हाड़ी हराओ और जो हमारा राग अलाप सके अर्थात जो हमारा अनुरागी है उसे जिताकर लाओ तो आनंद ही आनंद कहे और जिला पंचायत मे आनंद ही आनंद रहे लेकिन जनता ने अशोक को जिताया तो जिला पंचायत का शोक दूर और जनपद मे एक लोकप्रिय नेता के रुप मे उभरने लगे अशोक जाटव और जब लोकसभा चुनाव नजदीक है तो फिर एक बार चित्रकूट जनपद मे राजनीति का लोहा गरम हो चुका है।

हाल ही मे क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल चित्रकूट दौरे पर आए तो सभी नेता आनंद शुक्ला के आवास पर दिखे तो ऐसा लगा कि विवाद खत्म हुआ है लेकिन सोशल मीडिया पर गो बैक आनंद शुक्ला के नारे लग रहे हैं तो शीघ्र ही इस बात का भी विश्लेषण होगा कि गो बैक आनंद शुक्ला के नारे क्यों लग रहे हैं।

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