By – Anumeha prasad
मनभेद , मतभेद आरोप ,प्रत्यारोप ,पसन्द नापसन्द बहुत सामान्य सी इंसानी व्यवहार है ..पर हर व्यवहार व आचरण का एक उपयुक्त वक्त व स्थान मुकर्रर है …यदि इन सामान्य व्यवहार को भी वक्त की नजाकत को सोचे समझे बगैर अमल व व्यवहार में लाया जाय तो यह व्यवहार उस शख्स के मुँह पर स्वयम कालिख पोत देता है …जो स्थायी होता है …….
कल परम् आदरणीय युगपुरुष भारत रत्न उपाधि से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी जी के अंतिम यात्रा के अवसर पर इस फेसबुक पटल पर कई स्त्री व पुरुषों ने जो अनर्गल अपशब्द बयानबाजी की ..बस कटु शब्दों में सिर्फ यही समझ लो कि उन्होंने अपने मुँह पर स्वयम हीं कालिख मल ली ….
मेरी मित्रता लिस्ट में ऐसे लोग तो नहीं थे पर उनके द्वारा लगाए अन्य लोगों के स्क्रीनशॉट्स से अनर्गल प्रलाप आँखों के सामने आता रहा …
इस दुखद अवसर पर इन अनर्गल प्रलापों के लिए उस वक्त कुछ भी कहना सुनना एक सामान्य इंसान के लिए मुमकिन नहीं था …पर आज अवश्य कहती हूँ ..वो जो भी ऐसे लोग हैं संस्कारविहीन और मानवीय समाज के लिए कलंक हीं हैं ..
इंसान के रूप में जन्म लेकर भी अपनी नफरत भरी विरोधी मानसिकता को उजागर करने के लिए वो नाजुक वक्त चुना जब सारी कटुता और विरोध भुलाकर सिर्फ और सिर्फ अंतिम विदाई देनी थी …यदि श्रद्दांजलि देकर विदा नहीं कर सकते थे तो थोड़ी देर अपना मुँह हीं बन्द कर लेते ..अफसोस इतना भी नहीं कर सके कुछ लोग …
थू है ऐसी मानसिकता पर ….