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By – sauarbh Dwivedi

बारिश में भीगना अच्छा लगता है। इस बार कुछ काम ऐसे थे कि बारिश में जमकर भीग गया। लेकिन मौसम सही होते ही मेरी देह का मौसम बिगड़ गया। तापमान कुछ कम ज्यादा हो गया। खैर कल खूब नींद ली। 
इसी बारिश के मौसम से एक खास मित्र द्वारा सुनाई हुई कहानी याद आ गई। एक आदमी था जिसका नाम रामनाथ था। उसका ईश्वर पर बहुत भरोसा था। 
विकराल बारिश के मौसम में बाढ़ आ चुकी थी। पूरा गांव खाली कराया जा रहा था। राहत बचाव कार्य के लोग उसके पास भी आए। कहने लगे कि चलो हमारे साथ, उसने कहा नहीं हमे ईश्वर बचाने आयेगें। 
किसी की एक ना सुनी। जब उसके घर में पानी भर गया, तब वह छत में चला गया। उसकी छत के ऊपर एक हेलीकॉप्टर आया कि रस्सी पकड़कर आ जाओ। 
उसने फिर कहा कि हमें बचाने ईश्वर आयेगें और अंततः छत ढह गई। मलबे में दबकर उसकी मौत हो गई। 
उसकी आत्मा ईश्वर के पास पहुंची। उसने कहा कि आपकी इतनी भक्ति की कि उसकी शक्ति पर मेरा अटूट विश्वास था कि मुझे बचाने आप आएंगे। 
भगवान ने कहा कि भक्ति में शक्ति होती है। लेकिन युग – युग का अंतर होता है। ये वो युग नहीं कि बाल कृष्ण गोवर्धन पर्वत उंगली में उठाकर सबको बचा लेगें। 
यथार्थ को धरातल पर महसूस करना चाहिए। मैने तुम्हे बचाने के लिए पहले कुछ लोग भेजे, तुमने उनकी नहीं सुनी। मृत्यु से ठीक पहले हेलीकॉप्टर भेजा, किन्तु तुमने नहीं सुनी। 
इसलिये तुम्हारी असमय मृत्यु निश्चित हो गई। हम सदैव माध्यम भेजते हैं। इंसान को जिंदगी जीने के लिए हर प्रकार का माध्यम हम भेज देते हैं। अकेलेपन से भी कोई मर नहीं सकता, उसके लिए भी स्नेह, प्रेम का अलौकिक माध्यम किसी ना किसी रूप में भेजते हैं। 
भगवान की क्या गलती है कि अगर हमारे द्वारा भेजे गए माध्यम को ही तुम पहचान नहीं पाते। लकीर के फीकर बने बैठे रहते हो,तो अंत तुम्हारा ही बुरा होना है। अपनी दुनिया में आग तुम इंसानों ने ही लगाई है। जहाँ माध्यम पर विश्वास की कमी है तो भला भगवान का अर्थात मेरा क्या दोष है। वो रामनाथ मत बनना लेकिन रामनाथ कोविंद जरूर बनना जो माध्यम के जरिए आज राष्ट्रपति हैं।
देखिए दे दिया ना भगवान ने अपना संदेश बिलकुल सुबह सुबह मेरी तबियत सही होने के साथ आप सभी खूब स्वस्थ रहें। ईश्वर और उसके माध्यम को महसूस करें। ईश्वर ने हर किसी की जिंदगी खूबसूरत और खुशहाल बनाई है।


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