@Saurabh Dwivedi
मैं जिन दिनों पुणे मे नौकरी करता था। उन दिनों धनलक्ष्मी बिल्डर्स की प्रगति एक परिवार की प्रगति के साथ बढ़ती हुई दिख रही थी। भरत जैन , आनंद जैन , शांतिलाल जैन और महावीर जैन ये चारो भाई – भाई हैं , जिनमें भरत जैन बिग बॉस के रूप मे मेरे ज्यादा करीब थे। वहीं आनंद जैन एक विनम्र और दानी स्वभाव की वजह से अधिक चर्चित रहते थे। शेष दो भाई आफिस वर्क के लिए खूब जाने जाते थे और दोनों का स्वभाव भी गुस्से मे लगभग समान समझ आता था। शांतिलाल जैन लंबे कद के आकर्षक युवा लगते तो महावीर जैन अपने छोटे कद के साथ फुर्ती के लिए जाने जाते और आनंद जैन लंबे कद के विनम्र व्यक्तित्व के धनी , इन सबके साथ भरत जैन का छोटा कद और दूरदर्शी सोच प्रभावकारी होती।
मुझे भरत जैन की वह बात हमेशा याद आती रही। जब उन्होंने साइट आफिस पर बैठे हुए कहा था कि रूपया ( ₹ ) जब आना होता है , तो वह सोते हुए भी आ जाता है ! कोई आएगा और आपको जगाकर पैसा दे जाएगा।
उन्होंने उदाहरण दिया कि कभी – कभी आप दिन भर मेहनत करते हैं और एक ₹ भी नहीं मिलता , वहीं कभी-कभी तनिक प्रयास से अधिक धन का सौदा हो जाता है , यहीं पर कर्म और भाग्य के तराजू का खेल है।
एक अच्छे व्यवसायी होने के बावजूद उनका भाग्य पर भरोसा था। उन्होंने एक बात और साझा की थी , मेरा एक दोस्त है , जो मेरे साथ ही इस लाइन मे आया। हमने एक साथ अलग – अलग कंपनी बनाकर बिल्डर का काम शुरू किया था।
उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि मेरे दोस्त के पास निजी हेलीकाप्टर है। और मैं तुम्हारे सामने बैठा हूँ ! यह एक सच्चाई है कि जीवन मे भाग्य का भी बड़ा खेल होता है। वह हेलीकाप्टर से उड़ता है पर मैं कम से कम अभी हेलीकॉप्टर से नहीं उड़ सकता।
मेरे मन में एक बात स्पर्श कर गई थी कि सोते – सोते पैसा कैसे आएगा ! मैं मन ही मन मनन करने लगा कि सोते हुए कोई दिन पैसा आएगा , ऐसा मेरे मन विश्वास जगा।
किन्तु मैंने प्रयास जारी रखना कभी नहीं बंद किया। सोते – सोते पैसे के लिए जाग जाना पड़ता है या फिर जीवन की आपाधापी में कोरोना वायरस के समय भी कितनी बार देर रात या भोर के सुबह चार बजे के आसपास स्वयं नींद खुलने लगी। परंतु मैंने इसका सदुपयोग किया , जागने के बाद किचन पहुंचता और चाय बनाता तत्पश्चात अध्ययन शुरू कर देता।
मुझे परमात्मा पर जितना विश्वास है लगभग उतना ही आकर्षण के सिद्धांत पर भी विश्वास है। गुरूत्वाकर्षण जितना सच है उतनी सच्चाई आकर्षण के सिद्धांत मे है। लेकिन इसके परीक्षण के लिए धैर्य से लंबी यात्रा की जरूरत पड़ती है। बीच मे ही टूट गए तो भाग्य भी साथ नहीं देगा , अतः तराजू मे वाट और सामान तौलने की तरह जिंदगी में कर्म की अबाध गति आवश्यक है।
यह बात पुणे मे लगभग आठ – नौ साल पहले दोपहर के समय कही गई थी। तब से अब तक मेरे मन मे सोते हुए पैसा आने की तरंगे तरंगित होती रहीं। इस बीच मैंने साधन – संसाधन हेतु पैसा कमाने का हर संभव प्रयास किया। एक छोटा सा बिजनेस भी शुरू किया और उसे बड़ा करने के लिए भी प्रयासरत रहा। इस बीच भी मेरे जीवन मे भटकाव आए और मैं भटकता रहा लेकिन भटकाव से अनुभव हासिल हुए जो जीवन की यात्रा मे पथ प्रदर्शक बन रहे हैं।
मैं एक दिन की दोपहर में बाॅस भरत जैन की कही हुई बात को सोचते हुए सो गया था। सोने के लगभग आधे – एक घंटे मे ही एक शख्स आया और मुझे जगाया गया तो मेरी भाग्य हथेली में 500 ₹ रखे जा चुके थे। उस वक्त मेरा मन पुलकित हुआ कि आज सोते हुए इतना धन आया है तो संभव है कि विश्वास के साथ कल्पना की यात्रा जारी रहे और भरत जैन की वह बात मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट बन जाए , यह सभी के जीवन मे टर्निंग प्वाइंट हो सकता है।
एक दशक बीतने को हो रहे हैं तब जाकर एक कही हुई बात यथावत सिद्ध हुई थी। यहाँ राशि पर सोचने की बात नहीं है। चूंकि राशि कम – ज्यादा कभी भी हो सकती है पर आप मन मे जो सोचते हैं उसका साकार होना महत्वपूर्ण होता है।
एक छोटी सी धनराशि से मेरी जिंदगी में एक बात तथ्य बनकर सच साबित हुई है और यही हकीकत सिद्धांत बन जाया करती है। इक्कीसवीं सदी में जिंदगी का संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है। नौकरियों के लाले पड़ते जा रहे हैं तो वहीं परंपरागत व्यवसाय मे भी बड़ा परिवर्तन आया है। आनलाइन मार्केटिंग और नेटवर्क मार्केटिंग का भी समय आया है। बदलते समय के साथ हमें जीवनशैली मे बदलाव लाना पड़ता है , वैसे ही व्यवसाय मे भी बदलाव आ जाता है।
सभी के जीवन मे संघर्ष है। चूंकि हमें बचपन से संघर्ष की शिक्षा दी गई और एक समय पर यह संघर्ष बचपन में स्कूल – बैग टांगने की तरह कंधे – कमर पर भारी लगने लगता है। किन्तु बाॅस भरत जैन जैसे व्यक्तित्व की बातें जीवन में संघर्ष के भार को हल्का कर देती हैं। हमें एक उम्मीद रहती है कि एक न एक दिन भाग्य साथ देगा संघर्ष पस्त हो जाएगा और हमें भाग्य से अपार धन – संपदा मिलेगा। किन्तु भाग्य यह कभी नहीं कहता कि मेरी प्रतीक्षा में प्रयास करना बंद कर दो अर्थात कर्म करना बंद कर दो। हो ना हो एक दिन भाग्य सतत कर्म को ही सखा मानकर जीवन मे दस्तक देता फिर आप आकर्षण के सिद्धांत के अनुसार धनी व्यक्ति हो जाएंगे परंतु इससे पहले हारना मना है।
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