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By – preeti sharma

‘मनकही’ जिसकी लेखिका हैं ‘अल्का श्रीवास्तव’ दी। यह कहानी संग्रह अल्का दी के कोमल ह्रदय की परिचायक है। जब मैंने मनकही को पढा तोलगा कि ये मात्र दी के मन की कही नहीं वरन् संपूर्ण समाज की मनकही है एवं जब मैंनें इसे पढा तो इसके प्रति अपनी मन की कही को भी व्यक्त करने से नहीं रोक पाई।
जबहम वर्तमान परिदृश्य को देखते हैं तो पाते हैं कि आज का समाज बहुत गहरे से नैतिक पतन से जूझ रहा है। मानवता, प्रेम, और विश्वास जैसे मूल्य ह्रास के कगार पर हैं। ऐसे में हम जब किसी लेखक की रचना पढते हैं तो इन छूटते मूल्यों व टूटते विश्वास की कसक को महसूस करते हैं।
किंतु मनकही एक ऐसा कहानी संग्रह है जिसमें इन टूटते छूटते मूल्यों व रिश्तों को जोड़ने की बानगी प्रस्तुत की गयी है। इस संग्रह की कहानियां ये प्रदर्शित करती हैं कि आज भी मानवता लोगों के ह्रदय में मरी नहीं है वरन अब भी जीवित है। सच्चा प्रेम और विश्वास आज भी मनुष्यों के स्वभाव में विद्यमान है।
मानवता, प्रेम और विश्वास की अद्भुत मिसाल है ‘मनकही’। दी आप वास्तव में बधाई और साधुवाद की पात्र हैं कि आपने निराशा के इस दौर में आशा व सकारात्मकता का संचार अपनी कहानियों के माध्यम से किया है।
20 कहानियों की कडियों से गुंथी मनकही में जहां सामाजिक एवं पारिवारिक समस्याओं को उठाया है वही सच्चे प्रेम, मित्रता व रिश्तों की चाशनी से पागा गया है।
‘सच्चाई’ व ‘आई लव बारिश’ अत्यन्त भावुक कर देनें वाली कहानियाँ हैं। पढते पढते न जाने कब आंखों की कोर नम हो गयी पता ही नहीं चला। ‘प्यार की भूख’ कहानी में एक डॉ और उनकी पत्नी की सह्रदयता को बहुत ही खूबसूरती से दर्शाया गया है। इंसानियत के रिश्ते को बचाते और जीते ये दंपति देवतुल्य प्रतीत होते हैं।
हमारे भारतीय परिवारों में अधिकांशत सास बहू का रिश्ता नोक झोंक भरे रिश्ते के रूप में देखा जाता है किंतु ‘मेरे पास भी एक बेटी है’ में एक पुत्र और परिवार से उपेक्षित मां को पूरे परिवार में मान दिलाने वाली बहू के रूप में प्रतिभा का किरदार मन को छू गया। ‘विश्वास’ कहानी जहां एक ओर अशेष के निस्वार्थ सहयोग के भाव को लक्षित करती है वहीं दूसरी ओर पति पत्नी के एक दूसरे अटूट विश्वास की महत्ता को भी प्रतिपादित करती है। ‘तितली’ में व्यक्तित्व के अच्छे व बुरे दोनों पहलुओं का साक्षात्कार होता है। जहां समाज में करन जैसे नरपिशाच भटकते हैं तो वहीं डॉ आकाश जैसे मनुष्यों की भी कमी नहीं है जिसने मासूम तितली का इलाज कर इंसानियत को जीवित रखने की मिशाल प्रस्तुत की।
‘कमली’ में कमली की बेबसी एवं किसी की मजबूरी का फायदा उठाने वाले समाज के लोगों के विद्रूप चेहरे ने मन को कसैला कर दिया।
सभी कहानियों का वर्णन करना यहां संभव नहीं लेकिन ये सत्य है कि इस संग्रह की समस्त कहानियां अनूठी व बेमिसाल है जो ह्रदय को छूती हुई निकल जाती हैं तथा भावुक कर जाती हैं। सरल, सहज व सुबोध भाषा शैली में लिखी इन कहानियों को पढने में मस्तिष्क पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त दबाव डालने की आवश्यकता नहीं पडती।

अल्का दी आपकी ‘मनकही’ वास्तव में गहरे तक मन को छू गयी। आपको एक बार फिर से इस साहित्य सृजन के लिए बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं।

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