SHARE
कविताओं मे प्रेम व्यक्त करना सरल है क्योंकि कविता कम लोग पढ़ते हैं और कम लोग समझते हैं जैसे कविता को महसूस कर समझने वालों की संख्या कम है वैसे ही प्रेम को महसूस करने वालों की संख्या कम है , प्रेम का सबसे सटीक तथ्य है।

जिंदगी किसलिए मिली है नर्क मे जीने के लिए या स्वर्ग मे ? बगैर प्रेम के जीवन मे आनंद कहाँ ?

एक प्रेम मन मे आता है लिखने के लिए अगर खुलेआम कुछ नही लिखा जा सकता है तो वह प्रेम है ; प्रेम गली वास्तव मे अति सांकरी है।

काल्पनिक कुछ है तो वह प्रेम है जिसकी शुरुआत कल्पना से होती है और कल्पना मे अंत हो जाता है। इस प्रेम के हकीकत का जिक्र होता है कि हकीकत मे है क्या ?

Donate for support

जहाँ सबकुछ प्रदर्शन मे है और प्रदर्शन मे आकर्षण है वहाँ प्रेम नितांत व्यक्तिगत और सीमाओं के सींखचों के अंदर ही फल फूल रहा है।

कविताओं मे प्रेम व्यक्त करना सरल है क्योंकि कविता कम लोग पढ़ते हैं और कम लोग समझते हैं जैसे कविता को महसूस कर समझने वालों की संख्या कम है वैसे ही प्रेम को महसूस करने वालों की संख्या कम है , प्रेम का सबसे सटीक तथ्य है।

प्रेम खुलेआम व्यक्त करना चरित्र हीनता की श्रेणी मे आ जाता है बेशक कोई नफरत फैलाए दंगा कराए वो वीर बहादुर कहलाएगा यहाँ लाॅरेंस विश्नोई के भी फालोवर्स हैं लेकिन जितना आसानी से लोग विश्नोई को समझ पा रहे हैं उसे जगह दिल मे दे रहे हैं उतना प्रेम को कभी समाज मे जगह नही मिली कि वह विकसित हो सकता और परिपक्व हो सकता लोगों की तरह………

इसलिए प्रेम के अभाव मे कुंठा नफरत और अपराध का ग्राफ बढ़ता ही गया। जैसे लगने लगे कि प्रेम लिखने से लोग सोचते हैं अरे किसके लिए लिख रहा है और ऐसे लोगों की चिंता कर लो तो यकीनन प्रेम दफ्न हो जाता है या फिर उसकी चिता जल जाती है।

प्रेम मे अपार संभावनाए हैं जो अवसाद से बाहर निकालता है जो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह तन मन मे करता है और प्रेम जब शब्दों मे व्यक्त होता है तो प्रसन्नता का संचार होता प्रेम पढ़कर आनंद तन मन और मस्तिष्क मे उपजने लगता है जो सुख का वास्तविक अनुभूति कराता है।

जिंदगी किसलिए मिली है ? नर्क मे जीने के लिए या स्वर्ग मे जीने के लिए ? बगैर प्रेम के स्वर्ग संभव ही नही जैसे कहते हैं स्वर्ग सा सुख तो वह प्रेम मे ही है बेशक कल्पना मे प्रेम है किन्तु स्वर्ग कहीं साकार होगा तो प्रेम मे इसलिए प्रेम के लिए स्पेस होना चाहिए अन्यथा फिर कविता मे प्रेम है और संभवतः कम ही लोगों के लिए प्रेम शेष है !

( Writer Journalist saurabh dwivedi )

image_printPrint
5.00 avg. rating (98% score) - 1 vote