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By – dr. Alok bharti

रात दो बजे क्लीनिक से अटेंडेंट की काल आई सर आ जाइए एक सीरियस पेशेंट आया है।मैं बिना कपड़े बदले अपना स्कूटर उठा क्लीनिक पहुंचा।एक सोलह सत्रह साल की लड़की बेहोश पड़ी उल्टियां कर रही थी।मैंने साथ आए लोगों से पूछा इसकी यह हालत कब से है? उसके पिता ने बताया साहब रात खाना खा कर सोई और बारह बजे से इसको उल्टियां शुरु हुईं और यहां लाते लाते बेहोश हो गई।

मामला संदिग्ध लगने पर मैंने किडनी ट्रे में पड़ी उल्टी को ध्यान से देखा गाढ़े हरे रंग का झागदार पानी था।मैंने उसके पिता को बोला इसने कुछ जहरीली चीज़ खाई है आप सही सही बताओ डाक्टर से छिपाना भारी पड़ सकता है।
साहब इसका अपने भाई से झगड़ा हुआ तो इसने घर पर रखा नीला थोथा ( तूतिया, कापर सल्फेट) खा लिया तब से ही इसकी हालत खराब है।यह बात 1996 की है जब एक्सीडेंटल या जहर खाए लोगों का बिना पुलिस को सूचना दिए इलाज करना अपराध था।

मैंने इलाज करने से हाथ खड़े कर दिए और कहा इसको सरकारी अस्पताल ले जाओ।पुलिसिया व कानूनी पचड़े में पड़ने बदनामी झेलने से बचने के लिए उसके पिता नें पैर पकड़ लिए और कहा आप जो कर सकते हैं कीजिए हम सुबह इसको ले जाएंगे ।हम गरीब की अस्पताल में सुनवाई ना होगी और पुलिस भी परेशान करेगी बस आप इसे होश में ला दो तो कल अस्पताल में दिखा आएंगे।

सीमित संसाधनों में उसका इलाज शुरू हुआ।सक्शन मशीन से उसका स्टमक वाश हुआ तो उसकी वोमिटिंग भी रुक गईं।सेलाइन वाटर से उसका गिरता बीपी भी संभला और वह सुबह तक होश में भी आ गई।नीला थोथा किडनी पर बहुत ग़लत प्रभाव डालता है। सुबह तक उसकी यूरिन रुक गई और हीमोग्लोबिन गिर कर 4 पहुंच गया।

सुबह वे लोग उसे खुशी खुशी क्लीनिक से ले गए उनके हिसाब से होश में आ जाना ही बहुत था। मैं भी उसको अस्पताल ले जाने की हिदायत दे थका-हारा घर वापस आ गया।

तीन दिन बाद उस लड़की को वह लोग फिर मेरे पास ले कर आए। अस्पताल में उसकी जो जांचें हुईं उसको देखते हुए उसको डायलेसिस की जरूरत थी जो यहां उपलब्ध ना थी इसलिए उसे हायर सेंटर रिफर कर दिया गया था।गरीब मां बाप के पास ना तो इतने पैसे थे जो उसे बाहर ले जाते और ना ही कोई सिफारिश थी जिससे उसके इलाज की तत्काल व्यवस्था पी जी आई या एम्स में हो सकती।

उसी दौरान 1996 के आम चुनाव का जबरदस्त प्रचार चल रहा था।हमारे क्षेत्र से तत्तकालीन वाणिज्य मंत्री सलमान खुर्शीद चुनाव मैदान में थे।उस दिन उनकी चुनावी सभा क्लीनिक के पास के मैदान में थी।मैंने आनन फानन में उस लड़की को बुलवाया और सलमान के लोकल प्रतिनिधि को उस बच्ची के बारे में बताया। उन्होंने आश्वासन दिया कि सलमान साहब से कह कर उसके इलाज की व्यवस्था करवाएंगे।तभी सलमान साहब काफिले के साथ आ गए।माला पहनाते हुए मंच पर चढ़ने से पहले प्रतिनिधि नें उनको उस लड़की के बारे में बताया।मंच पर भाषण देते हुए सलमान खुर्शीद ने उस बच्ची का नाम लेकर उसे मंच पर बुलाया।उसका पिता किसी तरह गोद में उठा कर उसको मंच पर ले गया।मंच से उन्होंने उस लड़की को अपनी ही बेटी बतलाते हुए पूरा इलाज करवाने का वादा कर तमाम तालियां व जयकारे बटोरे।बाद में उन्होंने उसको अपने पीए का फोन नंबर दे कर कहा आप इसे लेकर दिल्ली चले जाओ इसके बेहतर इलाज की व्यवस्था एम्स में हो जाएगी।

अगले ही दिन इधर उधर से मांग कर उसके पिता ने एक गाड़ी किराए पर ली और लड़की को लेकर दिल्ली चला गया।

वहां पहुंच कर जब उसने उनके पीए को फोन किया तब उसने उन दोनों को बंगले पर बुला कर दो सौ रुपए दिए और कहा इन रुपयों से वापस लौट जाओ मंत्री जी तो इलेक्शन में रोज ऐसे वादे करते हैं।

लड़की वापस आने के तीन दिन बाद ही इलाज के अभाव में चल बसी।जब उनके लोकल प्रतिनिधि को बाद में शिकायत करी तो मुंह उठा कर हंस दिए साहब इलेक्शन है वोट ऐसे ही बटोरे जाते हैं।उस इलेक्शन में सलमान खुर्शीद हार गए थे।

आज फिर वह उसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।उस मासूम बच्ची की आह इस बार भी उनको जीतने ना देगी।

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