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@Saurabh Dwivedi

विपक्ष लगातार जिस किसान बिल का विरोध कर रहा है। उस किसान बिल को लेकर भाजपाई जनता के बीच जा रहे हैं व मीडिया के माध्यम से बिल को किसान हितैषी बता रहे हैं। सत्ता पक्ष व विपक्ष के आपसी संघर्ष मे किसान भ्रम मे ना रहे हैं इसलिए इस बिल की गहराई मे जाकर किसान व युवाओं को स्वयं को सही जानकारी मुहैया करानी चाहिए।

संसद सत्र से वापस आए सांसद बांदा आरके पटेल लगातार कह रहे हैं कि मंडी समिति कभी समाप्त नहीं होगी बल्कि किसानों को विकल्प मुहैया कराया गया है। इस बिल के आने से किसान को मंडी के अलावा भी फसल बेचने के लिए खुले बाजार का विकल्प दिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि किसान को लागत मूल्य और मंडी के मूल्य से अधिक दाम पर फसल बेचने का अवसर मिल रहा हो तो वह इस बिल के अनुसार मिल रहे अधिक दाम पर अनाज बेच सकता है।

जबकि विपक्ष का बड़ा आरोप है कि इससे मंडी समितियां एक दिन बंद हो जाएगी और सत्ता पक्ष का कहना है कि किसानों को मंडियों मे हो रहे अनावश्यक शोषण से बचाने के लिए ऐसा कानून लाया गया है। इन समितियों की भी ऐसी शिकायत थी कि किसानों से कमीशन और दलाली बड़े पैमाने पर होने लगी थी। ऊपर से नंबर आने तक किसानों का समय भी बर्बाद होता था। एक किसान को अनाज बेचने के लिए अनेको दिन इंतजार भी करना पड़ता था , इन्हीं सब अव्यवस्थाओं से किसानों को निजात दिलाई जा रही है।

इस व्यवस्था को एक अच्छी व्यवस्था करार देते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष चंद्रप्रकाश खरे कहते हैं कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए यह कानून सहायक सिद्ध होगा। जैसे – जैसे समय बीतेगा वैसे – वैसे किसानों को इस कानून का लाभ मिलता दिखने लगेगा। चूंकि इसमे किसान की स्वेच्छा से होने वाली खेती और अनाज बेचने का उचित प्रबंधन किया गया है।

लागत मूल्य के सवाल के जवाब मे भाजपाइयों का कहना है कि यह कोई कानून नही अपितु नीति के अंतर्गत आता है और हमेशा की तरह लागत मूल्य की नीति केन्द्र सरकार लागू किए रहेगी। जैसे कि हाल ही में गेंहू सहित अनेक फसलों के लागत समर्थन मूल्य मे केन्द्र सरकार ने बढ़ोत्तरी की है। सांसद प्रतिनिधि शक्ति प्रताप सिंह ने कहा कि वर्तमान विपक्ष गंभीर राजनीति ना करके भरमाने – बरगलाने की राजनीति कर रहा है जो किसान हित मे बिल्कुल नहीं है , यह किसान बिल पूर्व की मंडी व्यवस्था के साथ खुले बाजार का समर्थन करता है जिससे किसानों का शोषण बंद होगा व समृद्धि के द्वार खुलेंगे।
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