मैंने आसमान को पुकार लगाई, मुझे वो मौसम दे , जिसमें बारिशें होती हैं ।मुझे फिर किसी मुंडेर पर बैठना है, पंखों को फड़फड़ाते हुए भीगना है ।
सुना है अकसर बारिशों में इश्क होता है । इश्क वाली बेशुमार बेसाख्ता बारिशें और वो, ख्वाब है वो जागती आंखों का के हवा से उड़ते इन किताब के पन्नो से, वो अचानक बाहर निकल आयेगा, मुझे देखेगा सवाली निगाहों से, और मैं मुस्कुरा दूँगी ये कहते हुए कि तुमने आना ही था ।
ख्वाबों में ही सही, आये तो । देखना है मुझे वो रूप जो मैं तुम्हे पढ़ के तुमको गढ़ रही हूं।सुना है खूबसूरत लोग बहुत बुरे होते हैं और तुम बहुत बुरे हो, पर फिर भी तुम्हारे गालों में पड़ते भवरों में उलझ गई हूं ।
तुम्हारी ये लटें इन्हें क्यों न मैं इन्हें किसी योगी की जटाएं कहूँ, ये भूरी आँखे पुखराज का आभास कराती हुई , बताओ तो क्यों क्रोध में धधकती हैं , क्यों नही तुम बात करते? क्यों नही तुम कुछ कहते? जानती हूं तुम्हे छूना बस स्वप्न मात्र है, तुम्हारे पास आना एक नामुमकिन सी बात है, पर फिर भी तुम्हे गले लगाना चाहती हूं । खींच लेना चाहती हूं तुम्हारे मन की गहरी खाई में छुपी उस पीड़ा को, तुम्हे देखना है मुझे उस निश्छल मुस्कान के साथ ।
ओह! तुम मात्र ख्वाब हो,और फिर भी तुमसे बात कर रही हूं जानते हो क्यों?
क्योंकी बारिश हो रही है और तुम बूंदों की तरह मुझ में महकने लगे हो, ये इश्क ही तो है जो धीरे धीरे तुमसे हो रहा है ।सोते हुए जागती आँखों का खूबसूरत ख्वाब “तुम”। मैं ,बारिश,और किताबी रूह से अधूरा सा इश्क….
(Monica Sharma की फेसबुक वाल से)