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संभवतः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कल्पना नही कर सके होंगे कि कोई उनसे मिलने पैदल आ सकता है , जो लोग पैदल आएंगे वह हाथों मे जल लाकर भेट करेंगे। हाँ योगी आदित्यनाथ को चार नवयुवकों ने मंदाकिनी एवं बाल्मीकि नदी के संगम का जल भेट किया।

जून महीने मे चल रही हीट वेब मे चित्रकूट के आशीष रघुवंशी अपने तीन साथियों के साथ चित्रकूट से लखनऊ तक पैदल चलकर पहुंचने का निर्णय लिए।

संगम तट पर पर्यावरण प्रहरी कामतानाथ के सेवक संत मदनगोपाल दास महराज ने विधिवत पूजा करा आशीष को वह जल सौंपा जो मुख्यमंत्री को सौंपकर मंदाकिनी बचाओ अभियान को साकार कर सके , साथ ही इसकी सहायक नदियों को पुनर्जीवन मिल सके।

इसी उद्देश्य के साथ युवा समाजसेवी आशीष रघुवंशी मुख्यमंत्री से मिले और नदी के वास्तविक हालात की जानकारी दी , इस दौरान बांदा सांसद आरके पटेल भी साफ नजर आए। बांदा सांसद के सामने ही नदी बचाओ अभियान के जरिए सरकार कैसे मंदाकिनी को पुनर्जीवन प्रदान कर आम आदमी को बड़ी राहत प्रदान कर सकती है।

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खैर, यह सरकार और समाज दोनो की जिम्मेदारी है कि नदियाँ निर्मल अविरल रहें , इस समय नदियों की जो दुर्दशा है उसमे सरकार की गलत नीतियाँ जितनी जिम्मेदार हैं उतना ही समाज के लोगों द्वारा नदियों का दोहन करना बड़ा कारण है।

आदमी मे अभी इतनी ताकत है उसको अभी इतना अवसर है कि जल देने का सबसे बड़ा प्राकृतिक माध्यम जो नदियाँ हैं उनको वह बचाने का संघर्ष कर ले अन्यथा वह दिन दूर नही जिस प्रकार जल बिन मछली तड़प कर मरती हुई देखी जाती है वैसे ही आम आदमी जल बिन तड़प कर मरेगा। अभी भी दूषित पानी पीकर आदमी बीमारियों के स्वरूप मे जान खो रहा है , सुख चैन खो चुका है।

इसलिए आशीष और उनके साथियों का यह प्रयास ऐतिहासिक है और ऐसे प्रयास ही भागीरथ प्रयास कहे जा सकते हैं।

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