By – saurabh Dwivedi
हमारे देश में आजादी के समय से अल्पसंख्यक की बात आने पर सर्वप्रथम मुस्लिम शब्द ही एक नाम आता है। इस्लाम धर्म के मुस्लिम समुदाय की गरीबी, बेरोजगारी को लेकर चर्चा की जाती है। कांग्रेस शासनकाल में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आई। जिसमें मुस्लिमों की वर्तमान दशा की जानकारी कांग्रेस सरकार को मुहैया कराई गई।
इस संबंध में एक मुस्लिम से बात होने पर कहने लगे कि कांग्रेस ने ये पता करवाया कि वास्तव में जो हम चाहते थे, वो हुआ या नहीं ! उनका मन्तव्य ये था कि कांग्रेस मुस्लिमों का उत्थान कभी चाहती ही नहीं थी।
सच्चर कमेटी से जब मुस्लिमों की गरीबी और बदहाली की खबर मिल गई तो तत्कालीन सरकार ने बढ़िया से फ्रेम में मढा कर रख लिया।
वास्तव में कांग्रेस व तमाम सेक्युलर दल मुसलमानों को मुख्यधारा में लाना चाहते थे, तो सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए था।
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की तरह ये एक रिपोर्ट भी सरकार के फाइल ड्राइंगरूम की शोभा बढ़ा रही है।
वास्तव में जैन, पारसी और सिक्ख भी इस देश में अल्पसंख्यक हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी हैं। मैं जैन समुदाय का जीवन देखा और जीवनशैली बहुत करीब से देखी है। इनकी समृद्धि को भी महसूस किया है। व्यापार में बढता योगदान किसी का है तो वह जैन धर्म के अनुयायी का है। जैन संत समाज में शांति और सच्चाई की स्थापना के लिए तन्मयता से प्रयासरत हैं।
जैन धर्म के लोगों को किसी रिपोर्ट और सरकार की जरूरत नही हैं। वे स्वयं मुख्यधारा में हैं। कोई सरकार इन्हें मुख्यधारा पर लायेगी इसके लिए ये इंतजार नहीं करते हैं।
इसलिये मुसलमानो को सोचना चाहिए कि अपनी बुरी दशा के लिए स्वयं आप ही जिम्मेदार हैं। आपकी गरीबी आपकी सोच है। हम अमीर और गरीब ज्यादा से ज्यादा सोच से होते हैं। कुछ परिस्थितियां और अपवाद छोड़कर सोच से समृद्धि की बात इसलिये भी सच है कि आप जैन, पारसी आदि का जीवन स्तर देख सकते हैं।
देश के मुसलमानों के पास अभी भी वक्त है। वरना पाकिस्तान दुनिया की बिरादरी से जिस कदर अलग होगा, वैसे ही आप भी भाईचारे की बिरादरी से अलग हो सकते हैं। अपनी समृद्धि के लिए सोच बदलने की जरूरत है। मुख्यधारा में स्वयं आ सकते हैं, कोई सरकार आपको मुख्यधारा पर कभी नही ला सकती है।
राहुल गांधी ने एक बात मनोविज्ञान से सच कही थी कि गरीबी सोच का परिणाम है। भले देश भर के गरीब लोगों को बात बुरी लगेगी। गरीबी राजनीति का हथियार है और अल्पसंख्यक के नाम पर मुसलमान राजनीति के कुटिल ब्रह्मास्त्र हैं।
स्वयं से अल्पसंख्यक का तमगा खत्म करवा लीजिए वैसे ही जैसे आप लोगों के सामने बोलते हैं कि इस्लाम विश्व का सबसे बड़ा धर्म है या दूसरा बड़ा धर्म है, तो क्या यह ईमान है कि किसी एक देश में अल्पसंख्यक के नाम की मुफ्त की हज की जाए और कहते हैं कि मुसलमान वही है जिसमें ईमान है।
आपको विश्व के दूसरे या पहले बड़े धर्म के साथ भारत में अल्पसंख्यक के नाम के ईमान को तय करना होगा तभी आप मुख्यधारा में शामिल हो सकेगें वरना बने रहिये दंगे और स्वार्थी छद्म धर्म निरपेक्षता की राजनीति के प्रयोगशाला !
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