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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पंचायती राज विभाग को इस दिशा में पहल करनी चाहिए ताकि विकास कार्य सही मायनों में ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना को साकार कर सके। जन आकांक्षाओं को प्राथमिकता देकर और योजनाबद्ध विकास कार्यों के जरिए उत्तर प्रदेश को एक आदर्श राज्य बनाया जा सकता है।

विकास कार्य किसी भी क्षेत्र की उन्नति और लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का आधार होता है। लेकिन यह विकास तभी सार्थक होता है जब वह योजनाबद्ध हो और जन आकांक्षाओं के अनुरूप हो। उत्तर प्रदेश में क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायतें विकास कार्यों की प्रमुख इकाई हैं, लेकिन अक्सर देखा गया है कि इन इकाइयों द्वारा किए जाने वाले कार्यों में योजनाबद्धता और पारदर्शिता की कमी होती है।

वर्तमान स्थिति और समस्याएं

आज क्षेत्र पंचायतों में विकास कार्यों को लेकर एक बड़ी समस्या यह है कि यह कार्य बिना जन आकांक्षा या उचित सर्वेक्षण के किए जाते हैं। सड़क, नाली, स्वच्छता और अन्य बुनियादी सुविधाओं की वास्तविक जरूरतों को समझने के बजाय ठेकेदारों और अधिकारियों के स्वविवेक पर टेंडर पास कर विकास कार्य किए जाते हैं। इससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं:

1. अनावश्यक विकास कार्य : जिन क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता नहीं है, वहां भी कार्य किए जाते हैं, जबकि अन्य उपेक्षित क्षेत्र पीछे छूट जाते हैं।

2. भ्रष्टाचार का बढ़ना : टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी और विकास कार्यों में पारदर्शिता की कमी से भ्रष्टाचार बढ़ता है।

3. योजनाबद्धता का अभाव : बिना सर्वेक्षण के विकास कार्य किए जाने से आवश्यकताओं का सही आकलन नहीं हो पाता।

4. जनता की समस्याओं का समाधान नहीं : जिन क्षेत्रों में सड़क, नाली, और स्वच्छता की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, वहां कोई कार्य नहीं किया जाता, जिससे जनता की परेशानियां बनी रहती हैं।

सर्वेक्षण की आवश्यकता और लाभ

अगर विकास कार्यों के पहले सर्वेक्षण की प्रक्रिया अपनाई जाए तो कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

1. आवश्यकता आधारित विकास : सर्वेक्षण से यह पता लगाया जा सकता है कि किस क्षेत्र में कौन-सा कार्य सबसे ज्यादा जरूरी है।

2. योजनाबद्ध विकास : सर्वेक्षण के माध्यम से विकास कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जा सकता है।

3. भ्रष्टाचार में कमी : सर्वेक्षण की पारदर्शी प्रक्रिया और जन भागीदारी से भ्रष्टाचार के मामलों में कमी आएगी।

4. जनता की समस्याओं का समाधान : जनता की प्राथमिक समस्याओं का समाधान होने से उनका विश्वास प्रशासन पर बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपेक्षाएं

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में विकास और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है। पंचायती राज विभाग के माध्यम से अगर विकास कार्यों के लिए अनिवार्य सर्वेक्षण की व्यवस्था की जाए तो यह एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। इसके लिए निम्नलिखित पहल की जा सकती हैं :

1. सर्वेक्षण टीम का गठन: हर ग्राम पंचायत स्तर पर एक स्वतंत्र सर्वेक्षण टीम का गठन किया जाए, जिसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी हो।

2. डिजिटल प्रक्रिया : विकास कार्यों का सर्वेक्षण और टेंडर प्रक्रिया को डिजिटल माध्यम से अधिक पारदर्शी बनाया जाए।

3. जनता से फीडबैक : हर विकास कार्य से पहले और बाद में जनता से फीडबैक लिया जाए।

4. पंचायती राज विभाग का सख्त निरीक्षण : क्षेत्र पंचायतों की कार्यशैली पर सख्त निगरानी रखी जाए क्योंकि यह ऐसी संस्था जहाँ ग्राम पंचायत से अधिक मनमानी के मामले सुने जाते हैं।

निष्कर्ष :

सर्वेक्षण आधारित विकास कार्य न केवल जनता की समस्याओं का समाधान करेगा बल्कि भ्रष्टाचार की जड़ को भी खत्म करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पंचायती राज विभाग को इस दिशा में पहल करनी चाहिए ताकि विकास कार्य सही मायनों में ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना को साकार कर सके। जन आकांक्षाओं को प्राथमिकता देकर और योजनाबद्ध विकास कार्यों के जरिए उत्तर प्रदेश को एक आदर्श राज्य बनाया जा सकता है।

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